अंधविश्वास,डायन (टोनही) प्रताड़ना एवं सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जनजागरण

I have been working for the awareness against existing social evils,black magic and witchcraft that is prevalent all across the country and specially Chhattisgarh. I have been trying to devote myself into the development of scientific temperament among the mass since 1995. Through this blog I aim to educate and update the masses on the awful incidents & crime taking place in the name of witch craft & black magic all over the state.

Sunday, August 27, 2017

टोनही के संदेह में प्रताडि़त महिलाओं ने डॉ. दिनेश मिश्र को  राखी बाँधी
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति का ग्राम लचकेरा में अभियान

अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने रक्षाबंधन का त्यौहार गरियाबंद जिले के ग्राम लचकेरा में मनाया जहां कुछ वर्षों पूर्व तीन महिलाओं को टोनही के आरोप में क्रूरतम शारीरिक एवम मानसिक प्रताडऩा दी गई थी समिति ने अंधविश्वास के कारण समाज से प्रताडि़त एवं बहिष्कृत महिलाओं को जोडऩे की इस मुहिम के अंतर्गत यह पहल की। 
इस क्रम में आज समिति के अध्यक्ष डॉक्टर दिनेश मिश्र ने अपने साथियों सहित ग्राम लचकेरा का दौरा किया ग्राम में जाकर प्रताडि़त महिलाओं तीरिथ बाई और बिसाहिन बाई से मिले, महिलाओं ने उन्हें राखी बांधी। ग्राम लचकेरा की उन प्रताडि़त महिलाओं ने बताया की 1६ वर्षों बाद भी नही उन्हें न्याय मिला है ना ही उन्हें मुआवजा प्राप्त हुआ है और तो और जो दोषी ग्रामीण हैं उन्हें सजा भी नहीं मिली है। समिति की ओर से डॉक्टर दिनेश मिश्र ने उन्हें हर संभव मदद एवं मार्गदर्शन का भरोसा दिलाया। इसके बाद समिति के सदस्यों ने लचकेरा ग्राम की उप सरपंच श्रीमती बाई निषाद से मुलाकात की और उन्हें टोनही प्रताडऩा से संबंधित पोस्टर पॉम्पलेट एवं किताबें भेंट की जिन्हें लचकेरा के ग्राम पंचायत भवन में लगाया जाएगा। 
समिति के सदस्यों ने ग्राम का दौरा किया। ग्रामीणों से मिले तथा उन्हें किसी भी अंधविश्वास में ना पडऩे की समझाइश देते हुए डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा जादू - टोने का कोई अस्तित्व नहीं है तथा कोई महिला टोनही नहीं होती। पहले जब बीमारियों व प्राकृतिक आपदाओं के संबंध में जानकारी नहीं थी तब यह विश्वास किया जाता था कि मानव व पश्ुा को होने वाली बीमारियां जादू-टोने से होती है तथा ऐसे में कई बार विशेष महिलाओं पर जादू-टोना करने का आरोप लग जाता है।  गंदगी, प्रदूषित पीने के पानी, भोज्य पदार्थ के दूषित होने, मक्खियां, मच्छरो के बढने से बीमारियां एकदम से बढ़ जाती है तथा पूरी बस्ती ही मौसमी संक्रामक रोगों की शिकार हो जाती है। वहीं हाल फसलों व पशुओं का भी होता है, इन मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए पीने का पानी साफ हो, भोज्य पदार्थ दूषित न हो, गंदगी न हो, मक्खिंया, मच्छर न बढ़े,जैसी बुनियादी बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।


टोनही प्रताडऩा के मामले फास्ट ट्रेक कोर्ट में चलाया जाये : डॉ. दिनेश मिश्र
प्रताडि़त महिला की मृत्यु 16 वर्षों में न न्याय मिला न मुआवजा
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉक्टर दिनेश मिश्र ने बताया कि आज से 16 वर्षों पहले फिंगेश्वर ब्लॉक के ग्राम लचकेरा में जिन तीन महिलाओं को जादू-टोने के संदेह में सार्वजनिक रूप से प्रताडि़त किया गया था तथा अब तक हुए अपने ऊपर हुए अत्याचार तथा बदनामी के कलंक से कानून से जिस न्याय कथा राहत की उम्मीद कर रही थी उनमें से एक बुजुर्ग महिला श्याम बाई का पिछले कुछ समय पहले ग्राम लचकेरा में ही निधन हो गया जो कि काफी दुखद और घटना है। 
डॉ. दिनेश मिश्र ने बताया कि ग्राम लचकेरा में एक महिला की बीमारी को लेकर 22 अक्टूबर 2001 में गांव के बैगाओं के कहने पर तीरिथ बाई बिसाहीन भाई और श्याम बाई नामक 3 महिलाओं को घर से निकाल कर गांव के मंदिर में ले जाकर ना केवल निर्वस्त्र किया गया उनकी सामूहिक पिटाई की गई। उन्हें उसी अवस्था में गांव घर में घुमाया गया उन्हें बिजली के पोल से करंट लगाया गया तथा रात होने पर उन्हें उनके हाल में छोड़ दिया गया था और पुलिस में शिकायत करने पर और बुरा अंजाम होने की धमकी दी गयी थी । इस मामले की शिकायत भी उन्हीं में से एक पीडि़़त तीरिथ बाई  ने खुद फिंगेश्वर थाने में जाकर की थी जिस पर 2 दर्जन से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था तथा उनके खिलाफ जुर्म कायम हुआ था स्थानीय न्यायालय में मुकदमा चला दोषियों को कारावास की सजा तथा प्रताडि़़त महिलाओं को  एक-एक लाख रुपए मुआवजा देने का निर्णय हुआ, पर उसके बाद से अभियुक्तों के अपील में चले जाने से आज तक मामला लंबित है न ही दोषियों को सजा हुई न ही महिलाओं को आर्थिक मदद मिली और ना ही उनकी बदनामी का कलंक छूट पाया उनमें से लगभग सभी अपराधी आज भी गांव में ही स्वतंत्र घूम रहे हैं हैं जिससे उन महिलाओं में तथा उनके परिवार के लोगों में अभी भी डर बसा हुआ है। समिति ने प्रशासन विधिक सेवा आयोग मानव अधिकार आयोग, उच्च न्यायालय को पत्र लिखकर इन मामलों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में निपटाए जाने की मांग कई बार की है जिससे प्रताडि़त महिलाओं को जल्द न्याय मिल सके तथा उन्हें अपमानित करने वाले दोषियों को सजा हो। पर उसके बाद भी आज तक कोई सक्षम कार्यवाही नहीं हो पाई जिससे पीडि़़ता और उनके परिजनों के मन में घोर निराशा है समिति ने उक्त महिलाओं को समाज की मुख्यधारा में जोडऩे के लिए उक्त गांव में भी कई बार अभियान चलाया। पिछले गणतंत्र दिवस के अवसर पर उन महिलाओं का सार्वजनिक रुप से सम्मान भी किया गया था, रक्षाबंधन में भी  कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें गांव की महिलाएं भी उपस्थित थे इसके साथ ही बीच-बीच में उन्हें आर्थिक एवं चिकित्सकीय सहायता भी उपलब्ध कराई जाती रही। 
डॉ. मिश्र ने कहा टोनही प्रताडऩा जैसी सामाजिक कुरीतियों के आपराधिक मामलों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाए जाने की आवश्यकता है तथा इन मामलों में जब एक बार पुलिस तथा चिकित्सा की जांच में यह तय हो जाता है कि उन महिलाओं के साथ प्रताडऩा हुई है तो उन्हें तत्काल मुआवजा प्रदान किए जाने की व्यवस्था होना चाहिए जो भले ही बाद में शासन अपराधियों से जुर्माने के रुप में वसूले क्योंकि लंबे समय तक चलने वाले मामलों में पीडि़़त व्यक्ति और उसका परिवार आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान होते रहता है और समय गुजरते जाता है और व्यक्ति निराश होने लगता है जो कि ना केवल किसी व्यक्ति के मानवाधिकार के खिलाफ है बल्कि एक स्वस्थ समाज के लिए सही नहीं है श्याम बाई की मृत्यु की खबर मिलने पर समिति के सदस्य उसके घर गए और उसके पुत्र व परिवार से भेट कर सांत्वना दी उप सरपंच से प्रताडि़त अन्य दोनों महिलाओं से मिले उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा की जानकारी ली और जागरूकता अभियान चलाया।

Sunday, August 13, 2017

महिलाओं के चोटी कटने की घटना के पीछे असलियत क्या है ?
पिछले कुछ दिनों से देश के कुछ प्रदेशों से महिलाओं के रहस्यात्मक ढंग से चोटी कट जाने ने की घटनाएं प्रचारित हो रही हैं टीवी चैनलों,समाचार पत्रों, सोशल मीडिया ग्रुप में  इन घटनाओं के समाचार और जानकारियां भरी पड़ी है राजस्थान के एक गांव से करीब 1 माह पहले शुरू होने वाली इस तथाकथित घटना के प्रचार के बाद उसके आसपास है दो-तीन गावों में ऐसी घटनाओं के समाचार मिले फिर उसके बाद तो पूरे राजस्थान में इन घटनाओं के अफवाहें सामने आने लगे जिससे जनता का एक बहुत बड़ा वर्ग जो ग्रामीण अंचल में निवास करता है इस दुष्प्रचार की चपेट में आ गया धीरे धीरे राजस्थान से जुड़े प्रदेश में जैसे हरियाणा पंजाब दिल्ली उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से राजस्थान की सीमा से जुड़े मध्य प्रदेश के कुछ हिस्से से हर हाल में ही छत्तीसगढ़ से भी चोटी  कटने की घटना के समाचार मिले हैं पिछले कुछ दिनों से मेरे पास लगातार अलग-अलग क्षेत्रों से फोन आने लगे हैं क्षेत्रीय न्यूज़ चैनल में इन घटनाओं पर बाकायदा प्रोग्राम चलने लगे हैं आखिर क्यों ऐसी घटनाएं हो रही हैं वास्तव में महिलाओं की चोटियां रहस्यात्मक ढंग से कट रही है ऐसा कौन सा व्यक्ति है जो निर्दोष महिलाओं की चोटियां करने पर तुला हुआ है? उसे भला किसी का क्या फायदा हो सकता है क्या भोली-भाली महिलाओं को आतंकित करना और डराना ही ऐसी अफवाहों का उद्देश्य है या इसके पीछे कुछ और कारण हैं? 
जब मैंने इन घटनाओं के संबंध में जानकारी जुटाई तब पता चला कि राजस्थान के जालोर जिले के एक गांव से यह घटना शुरू हुई जिसमें एक परिवार ने अपने यहां की एक महिला के बाल काटने की बात प्रचारित की थी जब इस घटना के बारे में विस्तृत जानकारी ली तब यह भी पता चला क्योंकि उस परिवार के घर में कुछ ऐसी बात हुई थी जिसका उपाय किसी बैगा ने बताया था कि ऐसी   कोई अफवाह उड़ा दो जिससे उनके ऊपर आया संकट टल जाएगा इस कारण ऐसी बात प्रचारित की गई। इस बात का हल्ला आसपास के कुछ गांवों में भी हुआ कुछ दिनों बाद नजदीक एक अन्य गांव की महिला ने यह शिकायत की कि उसकी छोटी भी रात में सोते समय रहस्यात्मक ढंग  से काट ली गई जब इस मामले की भी जानकारी ली गई तब पता चला कि वह तो महिला का पति एक माह से घर नहीं लौटा था और उसने स्वयं ही अपने हाथों से अपने बालों का कुछ हिस्सा काटा और यह बात प्रचारित  की थी कि उसके चोटी को कोई काट लिया है ताकि उसका पति घबरा कर वापस घर आ जाए इसके कुछ दिनों बाद एक तीसरी घटना हुई जिसमें एक अन्य महिला ने दावा किया कि उसके बाल भी रहस्यात्मक ढंग से कट  गये। बाद में जब उसे पुलिस स्टेशन ले जाया गया तब उसने बताया कि उसने अपने बाल खुद काटे लेकिन गांव में अब तो अफवाहों का दौर चल पड़ा था और अनेक  क्षेत्रों में अलग अलग ढंग की अफवाहें फैला लगी थी किसी ने कहा उसे रात में कोई सफेद छाया दिखी तो किसी ने रात में कुछ अन्य वस्तुओं की बात की किसी ने यह कहा कि जब उसके बाल काटे गए तो घर में अकेली थी और उसे बहुत दर्द हुआ बेहोश हो गई। एक अन्य घटना में तो एक अन्य कथित रूप से पीडि़ता ने कहा कि बाल काटने के बाद से उसके हाथ पैर में दर्द हो रहा है एक मामले में तो यह भी कहा कि उसकी तबीयत खराब हो गई कुछ को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा अलग-अलग प्रकार के दावे सामने आने 

लगे और अफवाहें फैलने लगी फैलती चली गई जिसका कोई नहीं अंत था और ना उसे समय रहते है संभालने का प्रयास उपाय हो पाया। 
ऐसा नहीं है। इस प्रकार की अफवाहें और चमत्कारी घटना के रूप में प्रचारित किया जानेवाला मामला पहली बार सामने आया है इसके पहले भी देश में समय समय पर ऐसी घटनाएं सामने आती रही है जिससे देशभर में कुछ समय के लिए भ्रम और अफवाहों का बाजार बन जाता है और लोग परेशान होते रहते हैं। जनता की वास्तविक समस्याएं वास्तविक मुद्दे नजर से ओझल होने लगता है और बेसिर पैर की बातें चारों तरफ सुनाई पडऩे पडऩे लगती हैं। कुछ वर्ष गणेश जी की मूर्ति के दूध पीने पीने की खबर प्रचारित हुई थी फिर कहीं किसी प्रतिमा के आंखों से आंसू निकलने मदर मेरी की मूर्ति की आंखों से से खून निकलने तो कहीं किसी फोटो से भभूत निकलने की खबरें आती रही हैं। जादू टोना करके बीमार करने और मारने के नाम पर निर्दोष महिलाओं को डायन या टोनही के नाम पर प्रताड़ित करने और यहां तक जान से मारने की भी घटनाएं देश के 17 प्रदेशों से लगातार आती रहती हैं। कुछ समय पहले मंकी मैन की खबर मीडिया में थी जिसमें कहा गया था कि रात को कोई व्यक्ति जो है अंधेरे में आकर के लोगों से मारपीट करता है वह घायल करके भाग जाता है। कुछ क्षेत्रों में मुहनोचवा नाम के प्राणी की सामने आई जो लोगों का मुंह नोच लेता था। छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में कुछ वर्ष पहले एक चुड़ैल की अफवाह उड़ी थी जिसमें कहा गया था कि रात को लोगों के घर का दरवाजा खटखटाती है और मार डालते हैं और यदि रोटी और प्याज दिखा दिया जाए तो वह नहीं मारती। सरगुजा के पास के सखी बनाने का आतंक था कि अगर किसी महिला को सही नहीं बनाया उसे उपहार नहीं दिए तो जान चली जाएगी तो कहीं पर इच्छाधारी सांप तो कहीं पर अलग-अलग प्रकार के रहस्यमई बातें प्रचारित हुई। कोन्डागांव गांव के पास तो किसी अनजान लाइट जाने उससे लोगों के बीमार पडऩे कहीं लिवर किडनी निकालने जैसे अलग-अलग प्रकार के अफवाहें फैलती रही। सूर्य और चंद्र ग्रहण के समय तो अनेक बातें हर साल सामने आती हैं। कुछ दिनों तक यह बातें चर्चा में रहती हैं फिर थोड़े दिनों के बाद मामला शांत हो जाता है लोग ध्यान नहीं देते जीवन वापस वैसे ही चलने लगता है। 
सवाल यह है की ऐसी घटनाओं के प्रचार-प्रसार से किसे फायदा होता है। अभी महिलाओं के रहस्यात्मक ढंग से छोटी कटने की घटना के पीछे यदि विचार किया जाए तो कुछ प्रश्न ऐसे हैं जो निश्चित रुप से विचारणीय है कि छोटी कटने की घटना तथा ऐसी जितनी भी घटनाएं होती हैं मैं ग्रामीण अंचल में ही क्यों होती है? ऐसी महिलाएं इन घटनाओं का शिकार क्यों होती हैं जो अपेक्षाकृत कम पढ़ी-लिखी हैं जिनके परिवार में शिक्षा का स्तर अच्छा नहीं है जिनके बीच में विज्ञान के प्रति जागरूकता कम है जहां स्वास्थ्य के प्रति चेतना अपेक्षाकृत कम है तथा स्वास्थ्य सुविधाएं भी कम है ऐसी घटनाएं शहरों में महानगरों में रहने वाले निवासियों के बीच क्यों नहीं होती? बाल काटने के शिकार शरीर में आश्चर्यजनक ढंग से त्रिशूल बनने, सांप की आकृति बनने भूत प्रेत बाधा की शिकार होने के मामले ग्रामीण अंचल में ही क्यों होते हैं? झाड़ फूंक से लोगों को ठीक करने ताबीज गंडे पहनाने स्वयं को देवी-देवता घोषित कर दरबार लगाने के मामले अधिकांश का ग्रामीण और छोटे कस्बों में ही क्यों होते हैं? आखिर क्या कारण है की पुलिस में काम करने वाले सेना में काम करने वाले अस्पतालों में काम करने वाले सऊदी की स्थलों में काम करने वाले मीडिया में काम करने वाली महिलाएं पढ़े-लिखे लोग के घर में घुस कर कोई चोटी नहीं काटता, कोई उनके शरीर पर त्रिशूल का सांप का निशान नहीं बनाता। तथाकथित भूत प्रेत आत्माएं रहस्यमई शक्तियां तथाकथित जिन्न शैतान  पिशाच अशिक्षित लोगों ग्रामीणों पर ही क्यों सवार होते है? 

वास्तव में अंधविश्वास का मामला बहुत हद तक मनोविज्ञान से भी जुड़ा है व्यक्ति की मानसिक स्थिति मानसिक दशा मानसिक परेशानियां शारीरिक और आर्थिक परेशानियां भी उसमें सोने में सुहागा का काम करती हैं। जैसा कि चोटी काटने वाले इन मामलों में स्पष्ट है जो लोग ऐसी अदृश्य शक्तियों भूत प्रेत जैसी बातों पर भरोसा करते हैं वही इन घटनाओं के पीड़ित भी बनते हैं। किसी भी महिला के घर में घुसकर बाल काटना बिना किसी कैंची जैसे हथियार के बिना संभव ही नहीं। किसी व्यक्ति के घर के अंदर आकर ऐसा दुस्साहस करना उसके द्वारा संभव है या उसके परिजन के द्वारा संभव है जो कि बिना उसकी जानकारी के संभव नहीं चाहे वह किसी योजना के तहत किया गया हो शरारत के तौर पर किया गया हो अफवाह फैलाने के उद्देश्य से किया गया। इसमें किसी भी महिला के बाल पूरी तरह से नहीं कटेगा बालों का कुछ हिस्सा काटकर छोड़ दिया गया। वह वहीं पड़े रहे दूसरा बाल काटने से बेहोश होने और दर्द होने की बात भी गले नहीं उतरते। हमारे शरीर में बाल और नाखून जैसे अंग काटने में दर्द नहीं होता छोटे से छोटे बच्चे भी सिर के बाल कटवाकर शुरू में नजर आते हैं। महिलाएं ब्यूटी पार्लर जाकर के बाल कटवाती उसमें भी कोई दोष नहीं होता फिर चोटी का एक हिस्सा काटने से कोई व्यक्ति कैसे हो सकता है और उसे तेज दर्द की होने की बात भी बनावटी प्रतीत होती है। बेहोश होने की बात भी गले नहीं उतरती एक घटना में हाथ पैर में चोट लगने कमजोरी आने की भी अस्पताल में भर्ती करने की भी बात कही गई है। व्यक्ति अफवाह से घबराकर गिर भी सकता है गिरने से चोट भी लग सकती है हो सकता है कुछ ऐसी बातें भी कहें जो उसके अचेतन मस्तिष्क में संचित हो पर उसका वास्तविकता से कोई संबंध रहा है। इसमें पीडि़त व्यक्ति को समझाने और मानसिक रूप से स्वस्थ करने आत्मविश्वास बढ़ाने की आवश्यकता होती है और जो पूरा का पूरा गांव पूरा का पूरा शहर इस प्रचार की चपेट में आकर घबराता है या हिस्टीरिया जैसी बात है जिसका निदान भी सार्वजनिक रूप से बैठकर करने करने का अभियान चलाने प्रचार माध्यमों के उपयोग से समझाने से संभव है। 
अब ऐसी घटनाओं के दुष्परिणाम क्या हो सकते हैं इस पर भी सोचने की आवश्यकता है। इससे सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि व्यक्ति और पूरा का पूरा क्षेत्र एक अनजाने से भय डर और भ्रम में पड़ जाता है। एक अंधविश्वास बन जाता है लोग विरोध करने लगता है। राजस्थान के 55 गांवों में तो लोग रात में पहले रहे हैं महिलाएं घबरा रही है जो लोग निडर नहीं है और मैं और वह गया राजस्थान के गांव में तो बैगा तांत्रिक और भोपा भोपा की बनाई है वह टोने टोटके का सहारा लेकर लोगों को इस छोटी काटने के मुसीबत से मुक्ति दिलाने के लिए 5 से 10 हज़ार  रुपये ले रहे  हैं। मध्य प्रदेश में तो महिलाओं के ताबीज बनाने हाथ में राई का धागा बांधने के उपाय सुझाए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के आगरा में एक 63 वर्षीय महिला को तो ग्रामीणों ने इस शक में पीट-पीटकर मार डाला कि वह चुटिया काटती है। इसके पहले कि यह मामला और आगे बढ़े लोग और अधिक भ्रम के शिकार हो सभी पढ़े लिखे लोगों; मीडिया, प्रशासनिक अधिकारियों को इस मामले पर चर्चा करनी चाहिए सार्थक बहस होनी चाहिए और लोगों को ऐसे बेवजह के मामलों पर अंधविश्वास में ना पडऩे के लिए प्रेरित करना चाहिए।
डॉ. दिनेश मिश्र