होली पर आँखों व अन्य संवेदनशील अंगों को बचा कर रंग खेला जाना चाहिए .पहले होली प्राकृतिक रंगों से खेली जाती थी ,जो फूलों ,पत्तियों ,जड़ों ,व बीजों से तैयार रंगों से खेली जाती थी ,जो शरीरके लिए हानिकारक नहीं थे .आजकल बाजार में उपलब्ध रंग ,गुलाल कृत्रिम ,रासायनिक पदार्थों से बनते है ,ये केमिकल शरीर की त्वचा ,पलकों ,आँखों पर दुष्प्रभाव डालसकते है .जिससे आँखों व चेहरे में जलन ,खुजलाहट ,सूजन,दाने आना ,एलर्जी ,होना आदि प्रतिक्रिया हो सकती है ,रंग ,गुलाल में मिली गयी अभ्रक ,व मिटटी ,व रेत,से आँखों ,त्वचा में खरोंच हो सकती है ,इसलिए आवश्यक है कि आँखों में सुखा रंग ,गुलाल जाने से बचाया जावे .आंख के अन्दर रंग ,गुलाल जाने पर आँखों को रगड़े नहीं ,बल्कि उसे धीरे से निकालने कि कोशिश करें सादे पानी से आँखों को धो ले ,सुखा व खुरदरा रंग आँखों कि कोर्निया में अल्सर बना सकता ,वाही रंग ,व पानी के गुब्बारे भी गंभीर चोट पंहुचा सकते है , होली सावधानी से खेले . होली कि शुभकामनाये . डॉ.दिनेश मिश्र .
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