डायन /टोनही के संदेह में और कितनी महिलाओं को अपनी जान देनी पड़ेगी ? देश में 2008 से लेकर 2010 तक तीन वर्षों में डायन के संदेह में 528 महिलाओं की हत्या कर दी गयी .हत्याओं का यह आंकड़ा 2008 में 175 ,2009 में 175 तथा 2010 में 178 रहा है यह खबर हर संवेदनशील नागरिक को चिंतित करेगी .क्योकि शिक्षा एवं वैज्ञानिक उपलब्धियों के विस्तार के बाद भी इन बेकसूर महिलाओं को अन्धविश्वास का शिकार होकर अपनी जान गंवानी पड़ी .लोकसभा में २६ अप्रैल को एक प्रश्न के जवाब में सरकार ने यह जानकारी देते हुआ बताया की वर्ष 2008 से 2010 के बीच डायन के संदेह में आंध्र प्रदेश में 76 बिहार में 4 छत्तीसगढ़ में 29 गुजरात में 9 हरियाणा में 112 झारखण्ड में १०४ कर्णाटक में ३मध्यप्रदेश में 58 महाराष्ट्र में 33 मेघालय में 6 उड़ीसा में 76 राजस्थान में 2 तमिलनाडू में 3 त्रिपुरा में 1 उत्तरप्रदेश में 1 पश्चिम बंगाल में 4 दादर नगर हवेली में 1 महिला की हत्या कर दी गयी . जबकि इसमें मारपीट और प्रताड़ना के मामले शामिल नहीं है , पिछले कुछ वर्षों में झारखण्ड में ही .1420 महिलाओं के जादू टोने के संदेह में मारे जाने के आंकड़े मिले है .
Sunday, April 29, 2012
Monday, April 23, 2012
बाल विवाह जैसीसामाजिक कुरीति के उन्मूलन के लिए जन जागरण जरुरी-.डॉ .दिनेश मिश्र - बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति के उन्मूलन के लिए समाज के सभी वर्गों का सहयोग आवश्यक है .राजस्थान के झालावाड जिले के पृथ्वीपुरा ग्राम में हो रहे बाल विवाहों को रुकवाने गए अधिकारीयों पर ग्रामीणों द्वारा किया गया आक्रमण निंदनीय है ग्रामीणों ने १२अधिकारियो व कर्मचारियों को पथराव कर घायल कर दिया , शिक्षा का प्रचार प्रसार न होने जागरूकता की कमी ,पुरानी परम्पराओ को पालन करने के नाम पर होने वाले बाल विवाहों को रोकना सभी जागरूक नागरिकों का कर्त्तव्य है ,अक्षय तृतीया के मौके पर अधिकाधिक संख्या में बल विवाह संपन्न होते है जिनमे कई बार तो वर वधु बने बच्चे अंगूठा चूसते हुए माँ की गोद में बैठे रहते है तो अनेक मामलों में दस ग्यारह वर्ष की उम्र में ही शादी कर जाती है इस आयु में बच्चे न तो शारीरिक तथा मानसिक रूप से विवाह जैसी गंभीर जिम्मेदारी निभाने के लायक होते है .बाल विवाह से बालिकाओ की पढाई लिखाई बंद हो जाती है बल्कि उन्हें कम उम्र से ही मातृत्व का बोझ उठाना पड़ता है जिसके लिए वे शारीरिक व मानसिक रूप से तैयार नहीं होती .बाल विवाह की प्रथा न ही धार्मिक रूप से सही है और न ही सामाजिक रूप से .पुरातन भारतीय व्यवस्था में भी व्यक्ति के शिक्षा पूर्ण करने के बाद युवावस्था में ही विवाह कर गृहस्थ आश्रम में प्रवेश को उचित बताया गया है किसी भी धर्मं ने नन्हे बच्चों की शादी को उचित नहीं ठहराया है बल्कि अल्पव्यस्क बालिकाओ की मृत्यु भी प्रसूति के समय हो जाती है ,
Sunday, April 22, 2012
आध्यात्मिक बाबा या कारोबारी निर्मल बाबा . निर्मलजीत सिंह नरूला के दिल्ली में निर्मल बाबा बनकर बैठने व करोड़ों रुपयों के वारे न्यारे करने की खबरे लगातार मिडिया में आ रही है ,जबकि उसी मीडिया के ३५ चैनल रोजाना निर्मलजीत के कार्यक्रमों थर्ड आई ऑफ़ निर्मल बाबा , जिन्हें वह समागम कहते है ,का नियमित रूप से प्रसारण करते थे . ,असफल व्यवसायी व ठेकेदार से आद्यात्मिक बाबा बने निर्मल नरूला ने आस्था वन लोगों को फांसने का नायब तरीका निकाला.एक तो उसने उपने प्रायोजित कार्यक्रमों को समाचार चैनेलों में लगातार प्रसारित कराया जिससे अनेक लोग उसे समाचार समझते रहे ,दूसरा अपने भक्तो से कार्यक्रम में शामिल होने की फ़ीस li जो दो हजार रुपये थी ,बच्चे भी यदि उस कार्यक्रम में जाना चाहे तो उनसे भी पूरी फीस ली जाती थी कथित बाबा ने यह भी प्रचार किया की उसकी कृपा लोगो को टी ,वी , देखने से भी मिल सकती है इसलिए जो लोग नहीं आ सकते है वे उसके टी वी में दिखाए जा रहे समागम में दिए जा रहे जा रहे बैंक के अकाउंट नंबर में ड्राफ्ट बना कर रुपये भेज सकते है .उससे भी उन्हें कृपा ,व आशीर्वाद मिलाता रहेगा . तीसरा जो लोग समागम टी वी में देखते है ,उनमे से भी किसी का काम बन जाता है तो वे भी अपनी कमाई का दस प्रतिशत अर्थात दसबंध बाबाजी को भेज दे मतलब यह की यदि भक्त कार्यक्रम में आये तो दो हजार की टिकेट ख़रीदे ,सिर्फ टी वी में देखा तो पैसा भेजे ,और यदि काम बन गया तो तब दश प्रतिशत कमीशन भेज देवे .डाल्टन गंज में ईट भत्ते ,व रेडीमेड कपडे के व्यापार में असफल रहने वाले निर्मलजीत ने लोगो में बैठे अन्धविश्वास को परख लिया तथा बाबागिरी के कारोबार में प्रवेश कर लोगो की आस्था से खिलवाड़ करते हुए 237 करोड़ रुपये की दौलत कमा ली व उसका स्वयं के लिए उपयोग किया दिल्ली में होटल ख़रीदे ,फ्लेट खरीदे ,25 करोड़ का फिक्स दिपोसित बनाया ,यानि आम के आम और गुठलियों के दाम .
निर्मलजीत सिंह उर्फ़ निर्मल बाबा का अन्धविश्वास का यह कारोबार धीरे धीरे टी ,वी चैनलो में विज्ञापन के कारण देश भर में चर्चित होने लगा था .अनेक लोगों को अब भी आश्चर्य है की किसी भी तथाकथित योग ,साधना तपस्या ,से दूर दूर तक नाता नहीं रखने वाले होटलों में एश आराम की जिंदगी बिताने वाले निर्मल ने ऐसा कौन सा फार्मूला आजमाया की पढ़े लिखे ,समझदार लोग भी उसकी और आकर्षित हो कर बाबा बाबा करने लगे ,बाबाजी की कृपा बरसाने का तरीका भी बड़ा अजीबोगरीब था जो तर्क व वास्तविकता की कसौटी पर बिलकुल नहीं उतरता बल्कि कामेडी सर्कस को टक्कर देते नजर आता है ,भक्त का प्रश्न कुछ ,तो बाबा का जवाब कुछ , समागम में शामिल होने वाले भक्तो के प्रश्नों के जवाब में कथित बाबा के उत्तर ऐसे है किकोई गुमसुम व्यक्ति भी खिलखिला कर हंस पड़े ,मसलन एक महिला श्रद्धालु ने पूछा बाबा मेरी बेटी की शादी नहीं हो रही है ,,बाबा ने उसकी बेटी की उम्र व शिखा के बारे में जानने की बजाय यह पूछा की उसने इडली कब खायी थी ,महिला ने कहा छै माह पहले ,बाबा ने पूछा चटनी के साथ ,या बिना चटनी के , महिला ने कहा चटनी के साथ ,बाबा ने कहा अगली बार बिना चटनी के खाना कृपा आना शुरू हो जायेगी ,अब भला किसी की बेटी की शादी का उसकी माँ के इडली खाने से क्या सम्बन्ध है .एक व्यक्ति ने कहा बाबा मेरी नौकरी नहीं लग रही है बाबा ने उसकी शिक्षा ,प्रशिक्षण के सम्बन्ध में जानकारी लेने की बजाय उससे ही पूछा कभी मटका देखा है व्यक्ति -बाबा घर में आजकल मटके नहीं है फ्रिज है ,बाबा पहले कभी देखा हो व्यक्ति हाँ ,प्याऊ में मटका देखा है बाबा ने कहा मटके देख कर कैसा लगा व्यक्ति ने कहा अच्छा लगा बाबा ने सुझाव दिया मटके देखा करो कृपा आना शुरू हो जाएगी ,एक बीमार व्यक्ति ने अपनी बीमारी व उपचार के बारे में जानना चाह तो बाबा ने उसकी बीमारी के नाम ,व अवधि तक जानने में रूचि नहीं दिखाई बल्कि उससे पूछा गदहा देखा है ,व्यक्ति ने जवाब दिया बहुत दिनों पहले देखा था ,बाबा ने पूछा किसी को गदहा कहा है ,व्यक्ति ने कहा छै माह पहले किसी कर्मचारी के गलती करने पर शायद कहा था ,बाबा ने कहा गदहा देखना व कहना बंद करो .कृपा आना शुरू हो जाएगी व्यक्ति आचम्भित होकर बैठ गया भला बीमारी का गदहे से क्या सम्बन्ध ,निर्मल जीत सिंह बड़े मनमौजी कसम के इंसान है ,किसी भक्त ने रुपये पैसे की कमी की शिकायत की तो बाबा ने उससे म्हणत करने की बजायकहा बेटा काले रंग की पर्स रखा करो कृपा आना शुरू हो जाएगी ,लोगों ने काले रंग के पर्स खरीदने शुरू कर दिए , एक भक्त ने पूछा बाबा पैसा नहीं रूकता क्या करू ,बाबा जी मौज में कहा दस रुपये की नयी गद्दी तिजोरी में रखा कर नतीजन सबेरे बहुत से भक्त फिजूलखर्ची नहीं कर प्पैसा रोकने की बजाय दस रुपये की गद्दी लेने बैंक पहुचने लगे ,बैंक के कर्मचारी भी चकित की आज महंगाई के ज़माने में दस की गद्दी को तो कल तक कोई नहीं पूछता था अचानक क्या हो गया .किसी ने पूछा पूजा से लाभ नहीं हो रहा बाबा का जवाब था शिवलिंग को घर से बाहर कर दो कृपा रूक रही है नातिजजन सैकड़ो शिवलिंग रातोरात बेघर हो गए .किसी ने पूछा बच्चे का मन पढाई में नहीं लगता बाबा का प्रतिप्रश्ना था कभी गोलगप्पे खाए है वच्चे की माँ चकित बच्चे की पढाई से गोलगप्पे का क्या सम्बन्ध ,बाबा ने आगे सुझाव दिया सूजी की जगह आते के गोलगप्पे खाया करो कृपा पहुच जाएगी ,किसी ने पूछा काम नहीं बन रहा बाबा ने यह नहीं पूछा की कौन सा काम ,कब से नहीं बन रहा बल्कि पूछा कुत्ते की दम देखी है क्या ,,किसी ने पूछा बिसनेस में दौन्फल आ रहा बाबा ने कहा हवाई जहाज में चला करो ,किसी ने पूछा व्यापार मंदा चल रहा बाबा ने धुन में कहा राजधानी एक्सप्रेस में चला करो स्लो ट्रेन में बैठने से कृपा रूक रही है ,,किसी को कहा अपने माँ बाप की फोटो हटा दो , बाबा लोगो के प्रश्नों का जवाब देने में दिमाग नहीं लगते जैसा मूड हुआ वैसा जवाब उसके बाद भी कुछ भक्त खुश
पूरे संसार में किसी भी बाबा ने अपने भक्तों को उसकी बीमारी ,पढाई ,नौकरी ,शादी ,कारोबार जैसे समस्याओ के इतने मजेदार ,रोचक समाधान नहीं दिए इससे अन्ध्शद्धालू लोग निर्मल बाबा के अनोखे समाधान की ओर आकर्षित हो गए .समागमो में भीड़ बढ़ती गयी रुपयों का ढेर लगाने लगा बाबा ने किसी विद्यार्थी को अच्छे से पढने ,के लिए किसी व्यवसायी को मेहनत व ईमानदारी से काम करने के लिए ,किसी बीमार को सही इलाज के लिए ,किसी प्रमोशन के लिए मेहनत करने के लिए नहीं कहा . सिर्फ आसान,मजेदार ,मनोरंजक ,दिल बहलाने वाली बाते ही की
कुछ व्यक्तियों ने बाबा पर धोखाधड़ी के आरोप लगाये है जैसे युवराज सिंह के परिवार का कहना है की बाबा ने उनसे कैंसर ठीक करने के लिए बीस लाख से अधिक रुपये ले लिए जब कैंसर ठीक नहीं हुआ ,तो क्रिकेटर युवराज सिंह ने अमेरिका में जाकर कीमोथेरपी करा कर अपनी जान बचाई वाही लुधियाना केइंदरजीत आनंद व परिवार ने बाबा पर एक करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप लगा कर पुलिस में रिपोर्ट की है .बाकि के धोखा खाए भक्त भी सामने आ रहे है अब बाबा का मन घबरा रहा है कृपा और शक्ति भी साथ नहीं दे रही है वे भक्तो की शरण में आ गए है की भक्त उन पर कृपा करें व उन्हें न्यूज चैनलों व कानून से बचाए .मीडिया व पुलिस में की गयी शिकायतों व बढ़ते हुए जनाक्रोश की तसारी आँख से बाबा की थर्ड आई भी खतरे में आ गयी ,तथाकथित बाबा का अन्धविश्वास बढ़ने ,व कृपा बरसाने का कारोबार मंदा पड़ता जा रहा है . डॉ.दिनेश मिश्र नेत्र विशेषज्ञ एवं अध्यक्ष अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति
निर्मलजीत सिंह उर्फ़ निर्मल बाबा का अन्धविश्वास का यह कारोबार धीरे धीरे टी ,वी चैनलो में विज्ञापन के कारण देश भर में चर्चित होने लगा था .अनेक लोगों को अब भी आश्चर्य है की किसी भी तथाकथित योग ,साधना तपस्या ,से दूर दूर तक नाता नहीं रखने वाले होटलों में एश आराम की जिंदगी बिताने वाले निर्मल ने ऐसा कौन सा फार्मूला आजमाया की पढ़े लिखे ,समझदार लोग भी उसकी और आकर्षित हो कर बाबा बाबा करने लगे ,बाबाजी की कृपा बरसाने का तरीका भी बड़ा अजीबोगरीब था जो तर्क व वास्तविकता की कसौटी पर बिलकुल नहीं उतरता बल्कि कामेडी सर्कस को टक्कर देते नजर आता है ,भक्त का प्रश्न कुछ ,तो बाबा का जवाब कुछ , समागम में शामिल होने वाले भक्तो के प्रश्नों के जवाब में कथित बाबा के उत्तर ऐसे है किकोई गुमसुम व्यक्ति भी खिलखिला कर हंस पड़े ,मसलन एक महिला श्रद्धालु ने पूछा बाबा मेरी बेटी की शादी नहीं हो रही है ,,बाबा ने उसकी बेटी की उम्र व शिखा के बारे में जानने की बजाय यह पूछा की उसने इडली कब खायी थी ,महिला ने कहा छै माह पहले ,बाबा ने पूछा चटनी के साथ ,या बिना चटनी के , महिला ने कहा चटनी के साथ ,बाबा ने कहा अगली बार बिना चटनी के खाना कृपा आना शुरू हो जायेगी ,अब भला किसी की बेटी की शादी का उसकी माँ के इडली खाने से क्या सम्बन्ध है .एक व्यक्ति ने कहा बाबा मेरी नौकरी नहीं लग रही है बाबा ने उसकी शिक्षा ,प्रशिक्षण के सम्बन्ध में जानकारी लेने की बजाय उससे ही पूछा कभी मटका देखा है व्यक्ति -बाबा घर में आजकल मटके नहीं है फ्रिज है ,बाबा पहले कभी देखा हो व्यक्ति हाँ ,प्याऊ में मटका देखा है बाबा ने कहा मटके देख कर कैसा लगा व्यक्ति ने कहा अच्छा लगा बाबा ने सुझाव दिया मटके देखा करो कृपा आना शुरू हो जाएगी ,एक बीमार व्यक्ति ने अपनी बीमारी व उपचार के बारे में जानना चाह तो बाबा ने उसकी बीमारी के नाम ,व अवधि तक जानने में रूचि नहीं दिखाई बल्कि उससे पूछा गदहा देखा है ,व्यक्ति ने जवाब दिया बहुत दिनों पहले देखा था ,बाबा ने पूछा किसी को गदहा कहा है ,व्यक्ति ने कहा छै माह पहले किसी कर्मचारी के गलती करने पर शायद कहा था ,बाबा ने कहा गदहा देखना व कहना बंद करो .कृपा आना शुरू हो जाएगी व्यक्ति आचम्भित होकर बैठ गया भला बीमारी का गदहे से क्या सम्बन्ध ,निर्मल जीत सिंह बड़े मनमौजी कसम के इंसान है ,किसी भक्त ने रुपये पैसे की कमी की शिकायत की तो बाबा ने उससे म्हणत करने की बजायकहा बेटा काले रंग की पर्स रखा करो कृपा आना शुरू हो जाएगी ,लोगों ने काले रंग के पर्स खरीदने शुरू कर दिए , एक भक्त ने पूछा बाबा पैसा नहीं रूकता क्या करू ,बाबा जी मौज में कहा दस रुपये की नयी गद्दी तिजोरी में रखा कर नतीजन सबेरे बहुत से भक्त फिजूलखर्ची नहीं कर प्पैसा रोकने की बजाय दस रुपये की गद्दी लेने बैंक पहुचने लगे ,बैंक के कर्मचारी भी चकित की आज महंगाई के ज़माने में दस की गद्दी को तो कल तक कोई नहीं पूछता था अचानक क्या हो गया .किसी ने पूछा पूजा से लाभ नहीं हो रहा बाबा का जवाब था शिवलिंग को घर से बाहर कर दो कृपा रूक रही है नातिजजन सैकड़ो शिवलिंग रातोरात बेघर हो गए .किसी ने पूछा बच्चे का मन पढाई में नहीं लगता बाबा का प्रतिप्रश्ना था कभी गोलगप्पे खाए है वच्चे की माँ चकित बच्चे की पढाई से गोलगप्पे का क्या सम्बन्ध ,बाबा ने आगे सुझाव दिया सूजी की जगह आते के गोलगप्पे खाया करो कृपा पहुच जाएगी ,किसी ने पूछा काम नहीं बन रहा बाबा ने यह नहीं पूछा की कौन सा काम ,कब से नहीं बन रहा बल्कि पूछा कुत्ते की दम देखी है क्या ,,किसी ने पूछा बिसनेस में दौन्फल आ रहा बाबा ने कहा हवाई जहाज में चला करो ,किसी ने पूछा व्यापार मंदा चल रहा बाबा ने धुन में कहा राजधानी एक्सप्रेस में चला करो स्लो ट्रेन में बैठने से कृपा रूक रही है ,,किसी को कहा अपने माँ बाप की फोटो हटा दो , बाबा लोगो के प्रश्नों का जवाब देने में दिमाग नहीं लगते जैसा मूड हुआ वैसा जवाब उसके बाद भी कुछ भक्त खुश
पूरे संसार में किसी भी बाबा ने अपने भक्तों को उसकी बीमारी ,पढाई ,नौकरी ,शादी ,कारोबार जैसे समस्याओ के इतने मजेदार ,रोचक समाधान नहीं दिए इससे अन्ध्शद्धालू लोग निर्मल बाबा के अनोखे समाधान की ओर आकर्षित हो गए .समागमो में भीड़ बढ़ती गयी रुपयों का ढेर लगाने लगा बाबा ने किसी विद्यार्थी को अच्छे से पढने ,के लिए किसी व्यवसायी को मेहनत व ईमानदारी से काम करने के लिए ,किसी बीमार को सही इलाज के लिए ,किसी प्रमोशन के लिए मेहनत करने के लिए नहीं कहा . सिर्फ आसान,मजेदार ,मनोरंजक ,दिल बहलाने वाली बाते ही की
कुछ व्यक्तियों ने बाबा पर धोखाधड़ी के आरोप लगाये है जैसे युवराज सिंह के परिवार का कहना है की बाबा ने उनसे कैंसर ठीक करने के लिए बीस लाख से अधिक रुपये ले लिए जब कैंसर ठीक नहीं हुआ ,तो क्रिकेटर युवराज सिंह ने अमेरिका में जाकर कीमोथेरपी करा कर अपनी जान बचाई वाही लुधियाना केइंदरजीत आनंद व परिवार ने बाबा पर एक करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप लगा कर पुलिस में रिपोर्ट की है .बाकि के धोखा खाए भक्त भी सामने आ रहे है अब बाबा का मन घबरा रहा है कृपा और शक्ति भी साथ नहीं दे रही है वे भक्तो की शरण में आ गए है की भक्त उन पर कृपा करें व उन्हें न्यूज चैनलों व कानून से बचाए .मीडिया व पुलिस में की गयी शिकायतों व बढ़ते हुए जनाक्रोश की तसारी आँख से बाबा की थर्ड आई भी खतरे में आ गयी ,तथाकथित बाबा का अन्धविश्वास बढ़ने ,व कृपा बरसाने का कारोबार मंदा पड़ता जा रहा है . डॉ.दिनेश मिश्र नेत्र विशेषज्ञ एवं अध्यक्ष अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति
Friday, April 20, 2012
बाबागिरी का पाखंड
पिछले कुछ वर्षों से देश में ऐसे आध्यात्मिक बाबाओ की सक्रियता
बढ़ी है .जो अपनी चमत्कारिक शक्तियों की बाते प्रचारित करके सभी प्रकार
की समस्याओं से मुक्ति दिलाने की बातें करते है .कुछ बाबा स्थानीय
स्तरसे लेकर अंतररास्ट्रीय स्तर तक के होते है .जब हम अन्धविश्वास
निर्मूलन अभियान के तहत विभिन्न स्थानों के दौरे करते है तब हमें ऐसे
बाबाओ के बारे में अनेक जानकारिय मिलाती है .कुछ अध्यात्मिक बाबा तो
शिक्षा के मामले में अंगूठा छाप या अल्पशिक्षित है .जो सही ढंग
से पढ़ लिख भी नहीं पते ,व्यवसायिक प्रशिक्षण न पाने के कारण
कुछ वर्षों तक बेरोजगार रहे ,कई काम धंधे भी किये पर कही सफलता न मिल
ने पर अंतत बाबागिरी के धंधे में आ गए .,तो कुछ बाबा शिक्षित्त भी है
जिहोने शैक्षणिक डिग्रिय भी प्राप्त की है पर प्रतियोगिता एवं संघर्ष
के दौर्र में टिक न सके और बाबागिरी अपना बैठे .पर सभी
अध्यात्न्मिक बाबाओ में एक बात सामान है की वे लच्छे दार बाते करने
,हिंदी संस्कृत के दोहे ,चौपाई सुनाने ,स्वर्ग नरक के किस्से बताने में
कुशल और वाक्पटु होते है .किसी भी असंभव व् मुश्किल काम को संभव
बनाने के दावे करने में वे पीछे नहीं हटते तथा स्वयं के कथित चमत्कारों
का बढ़ चढ़ कर प्रचार करने में ,समाचार पत्रों .पत्रिकाओ ,टी .वी.
चैनलों ,में स्थानं पाने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपनाने में भी नहीं
चूकते,इनमे से कुछ बाबाओ की गतिविधिया न केवल अजीबोगरीब होती है बल्कि
दिलचस्प भी होती है पर काफी वर्षो तक वे आम लोगो की आस्था का दोहन कर नाम
व दम बना चुके होते है ,
ऐसे आध्यात्मिक बाबाओ का प्राप्त जानकारियों के आधार पर वर्गीकरण भी
किया जा सकता है पहले किस्म के बाबा तो ग्रामीण अंचल के बैगा व ओझा
होते है जो गाँव में ही अपनी दुकानदारी चलते है वे सर्प दंश ,कुत्ते
काटने पर मरीजो की झड फूँक से लेकर विभिन्न बीमारियों की झाडफूंक करते
है ,गाँव में लोगों की समस्या दूर करने ,जानवरों के गुमने पर उनका पता
बताने ताबीज बांधने का काम कर पैसा कमाते है व गरीब मरीजो की
बीमारियों को जादू टोना बता कर उसे उतरने की बात करते है उनके भक्त गन
भी सैकड़ों की संख्या में होते है जो आसपास के कुछ गाँव में फैले होते
है ,दुसरे किस्म के बाबा कुछ बड़े स्तर के होते है ,जो शहरों में रहते है
ओफ़िसे बनाकर काम करते है वे स्वयं को को भविष्यवक्ता ,सर्वज्ञानी
,ज्योतिष सम्राट , भूषण आदि कहलाते है वे शहरो के होटलों में जाकर कमरे
किराये में लेते है तथा लोगों की समस्याओं को सुलझाने के वायदे करते
है तथा रत्ना आदि बेचने के धंधे करते है ,ये आम लोगों को चमत्कार के नाम
से मुर्ख बनाते है ,तो कुछ हाथ की सफाई के करतबों को जादू के रूप में
दिखाते है तथा उन्हें चमत्कार व दिव्य शक्ति के नाम से प्रचारित करते है
इन्ही में से कुछ बाबा आस्थावान लोगों को भगवन के दर्शन करने के बहाने
रुपये ठग लेना ,महिलाओ को उनके जेवरों को दुगने करने बहाने चम्पत हो जाते
है तो कुछ तो रुपयों को दुगने करने के नाम पर ठगी के कम करते रहते है ,
तीसरे किस्म के बाबा तो स्वयं के आश्रम बना कर रहते है ,लाखों की
संख्या में उनके भक्त गन रहते है हवाई जहाज ,व महँगी गाडियों में सफ़र
करते है ,देश विदेश में आध्यात्मिक प्रवचन करते व उसकी फ़ीस के रूप में
लाखों रुपये प्राप्त करते है,वे स्वयं कोई चमत्कार करके नहीं दिखाते पर
उनके चेले ,शिष्य आम लोगों को उनके चमत्कार की कहानिया सुना कर
प्रभावित करते है ,आधुनिक संत आम लोगों को तो माया मोह से दूर रहने की
शिक्षा देते है पर स्वयं अरबपति होते है ,जो आध्यात्म को व्यापर की तरह
चलते है इनके प्रवचनों ,सत्संगों में साबुन ,तेल कंघी ,आयुर्वेदिक
चूर्ण ,दवाइया,मालाये,ताबीज भी स्टाल लगा कर बेचे जाते है .
चौथे किस्म के बाबा तो गुरुमंत्र व दीक्षा देने के नाम पर हजारों
रुपये लेलेते है तो कुछ साधना ,शक्तियों को जागृत करने,शिविर लगाने के
,तो कुछ योग साधना के नाम पर टिकेट बेचते है तथा लोगों को मोह माया से
मुक्त रहने का उपदेश देकर स्वयं उनकी माया पर कब्ज़ा जमा लेते है .कुछ
बाबा तो स्वयं सन्यासियों के वस्त्र धारण करते हैपर उनके आचरण कालगर्ल्स
को भी मात करते है .प्रतिदिन नयी शिष्यों के साथ नजर आते है व उनकी
मज्ब्बोरियो का लाभ उठाकर उनका शोषण करते है , इनमे से कुछ स्वयं को संत
,तो कुछ गुरु तो कुछ महर्षि ,कुछ १००८ ,अथवा भगवान् कहलाना पसंद करते है
,इनके स्वयं के स्कूल ,कोलेज ,माल ,इंडस्ट्री ,टीवी .चैनेल तक है जो इनकी
निरंतर आय के स्त्रोत बने रहते है
पांचवे किस्म के बाबा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काम करते है
,जिनके देश के साथ विदेशो में भी आश्रम रहते है उनकी शिष्याएं भी विदेशी
होती है बड़े बड़े औद्योगिक घराने ,बड़े फिल्म स्टार ,खिलाडी उनके
शिष्य बने होते है ये बाबा भी विश्व शांति ,विश्व कल्याण के नाम पर अपना
ब्रांड बेचते है तथा बिना मेहनत कर करोड़ों रुपये पिटते है ,ऐसे बाबाओ से
कोई साधारण आदमी मिल भी नहीं सकता क्योकि वहां दर्शन हेतु भेंट पूजा भी
लाखों की होती है ,इनमे से कुछ हथियारों की दलाली से लेकर स्मगलिंग तक के
कम में लिप्त रहते है इनके संपर्क अंतर्राष्ट्रीय रहते है कुछ तो
स्वयं के नाम का मत चलते है .कुछ बाबा बड़े व्यापारिक समझौते भी करते है
जिसका कमीशन प्राप्त करते है ऐसे बाबाओ का समय समय पर पर्दाफाश भी हुआ
है.
कुछ कथित बाबा तो स्वयं मानसिक रूप से असंतुलित होते है .वे
लोगो को न ही प्रश्नों के सीधे जवाब देते है और न ही आशीर्वाद तक देने
लायक रहते है ,ये सार्वजनिक स्थलों पर पड़े रहते है श्रद्धालु उनके पास
आते है ,बाबाजी के हाथ पैर भी दबाते है सेवा करते है पर ये किसी को
पैसे फेंककर ,तो किसी को फल फेककर मार देते है तो किसी को हाथ पैर से ही
मार देते है .इनके इर्दगिर्द भी तमाशबीनों की भीड़ लगी रहती है ये न ही
कोई चमत्कार दिखा पते है व न ही किसी की झाड फूंक करने के लायक रहते है
,नहीं उपदेश देने का काम कर पते है फिर भी इनके पास अन्ध्श्रद्धलुओ का
आना जाना लगा रहता है ,
पिछले कुछ समय पहले देश में अनेक बाबाओ का भंडाफोड़
हुआ ,जिसके बाद उन्हें जेल जाना पड़ा आम लोग जिनमे अधिकांश
महिलाये होती है अन्धविश्वास में पड़कर अक्सर ऐसे धूर्त बाबाओ के
चक्कर में फंस जाती है तथा अपना शारीरिक ,व आर्थिक नुकसान करबैठती है
जबकि आम लोगों को ऐसे धूर्त बाबाओ के जाल में नहीं फंसना चाहिए
डॉ.दिनेश मिश्र नेत्र विशेषज्ञ, अध्यक्ष ,अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति
पिछले कुछ वर्षों से देश में ऐसे आध्यात्मिक बाबाओ की सक्रियता
बढ़ी है .जो अपनी चमत्कारिक शक्तियों की बाते प्रचारित करके सभी प्रकार
की समस्याओं से मुक्ति दिलाने की बातें करते है .कुछ बाबा स्थानीय
स्तरसे लेकर अंतररास्ट्रीय स्तर तक के होते है .जब हम अन्धविश्वास
निर्मूलन अभियान के तहत विभिन्न स्थानों के दौरे करते है तब हमें ऐसे
बाबाओ के बारे में अनेक जानकारिय मिलाती है .कुछ अध्यात्मिक बाबा तो
शिक्षा के मामले में अंगूठा छाप या अल्पशिक्षित है .जो सही ढंग
से पढ़ लिख भी नहीं पते ,व्यवसायिक प्रशिक्षण न पाने के कारण
कुछ वर्षों तक बेरोजगार रहे ,कई काम धंधे भी किये पर कही सफलता न मिल
ने पर अंतत बाबागिरी के धंधे में आ गए .,तो कुछ बाबा शिक्षित्त भी है
जिहोने शैक्षणिक डिग्रिय भी प्राप्त की है पर प्रतियोगिता एवं संघर्ष
के दौर्र में टिक न सके और बाबागिरी अपना बैठे .पर सभी
अध्यात्न्मिक बाबाओ में एक बात सामान है की वे लच्छे दार बाते करने
,हिंदी संस्कृत के दोहे ,चौपाई सुनाने ,स्वर्ग नरक के किस्से बताने में
कुशल और वाक्पटु होते है .किसी भी असंभव व् मुश्किल काम को संभव
बनाने के दावे करने में वे पीछे नहीं हटते तथा स्वयं के कथित चमत्कारों
का बढ़ चढ़ कर प्रचार करने में ,समाचार पत्रों .पत्रिकाओ ,टी .वी.
चैनलों ,में स्थानं पाने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपनाने में भी नहीं
चूकते,इनमे से कुछ बाबाओ की गतिविधिया न केवल अजीबोगरीब होती है बल्कि
दिलचस्प भी होती है पर काफी वर्षो तक वे आम लोगो की आस्था का दोहन कर नाम
व दम बना चुके होते है ,
ऐसे आध्यात्मिक बाबाओ का प्राप्त जानकारियों के आधार पर वर्गीकरण भी
किया जा सकता है पहले किस्म के बाबा तो ग्रामीण अंचल के बैगा व ओझा
होते है जो गाँव में ही अपनी दुकानदारी चलते है वे सर्प दंश ,कुत्ते
काटने पर मरीजो की झड फूँक से लेकर विभिन्न बीमारियों की झाडफूंक करते
है ,गाँव में लोगों की समस्या दूर करने ,जानवरों के गुमने पर उनका पता
बताने ताबीज बांधने का काम कर पैसा कमाते है व गरीब मरीजो की
बीमारियों को जादू टोना बता कर उसे उतरने की बात करते है उनके भक्त गन
भी सैकड़ों की संख्या में होते है जो आसपास के कुछ गाँव में फैले होते
है ,दुसरे किस्म के बाबा कुछ बड़े स्तर के होते है ,जो शहरों में रहते है
ओफ़िसे बनाकर काम करते है वे स्वयं को को भविष्यवक्ता ,सर्वज्ञानी
,ज्योतिष सम्राट , भूषण आदि कहलाते है वे शहरो के होटलों में जाकर कमरे
किराये में लेते है तथा लोगों की समस्याओं को सुलझाने के वायदे करते
है तथा रत्ना आदि बेचने के धंधे करते है ,ये आम लोगों को चमत्कार के नाम
से मुर्ख बनाते है ,तो कुछ हाथ की सफाई के करतबों को जादू के रूप में
दिखाते है तथा उन्हें चमत्कार व दिव्य शक्ति के नाम से प्रचारित करते है
इन्ही में से कुछ बाबा आस्थावान लोगों को भगवन के दर्शन करने के बहाने
रुपये ठग लेना ,महिलाओ को उनके जेवरों को दुगने करने बहाने चम्पत हो जाते
है तो कुछ तो रुपयों को दुगने करने के नाम पर ठगी के कम करते रहते है ,
तीसरे किस्म के बाबा तो स्वयं के आश्रम बना कर रहते है ,लाखों की
संख्या में उनके भक्त गन रहते है हवाई जहाज ,व महँगी गाडियों में सफ़र
करते है ,देश विदेश में आध्यात्मिक प्रवचन करते व उसकी फ़ीस के रूप में
लाखों रुपये प्राप्त करते है,वे स्वयं कोई चमत्कार करके नहीं दिखाते पर
उनके चेले ,शिष्य आम लोगों को उनके चमत्कार की कहानिया सुना कर
प्रभावित करते है ,आधुनिक संत आम लोगों को तो माया मोह से दूर रहने की
शिक्षा देते है पर स्वयं अरबपति होते है ,जो आध्यात्म को व्यापर की तरह
चलते है इनके प्रवचनों ,सत्संगों में साबुन ,तेल कंघी ,आयुर्वेदिक
चूर्ण ,दवाइया,मालाये,ताबीज भी स्टाल लगा कर बेचे जाते है .
चौथे किस्म के बाबा तो गुरुमंत्र व दीक्षा देने के नाम पर हजारों
रुपये लेलेते है तो कुछ साधना ,शक्तियों को जागृत करने,शिविर लगाने के
,तो कुछ योग साधना के नाम पर टिकेट बेचते है तथा लोगों को मोह माया से
मुक्त रहने का उपदेश देकर स्वयं उनकी माया पर कब्ज़ा जमा लेते है .कुछ
बाबा तो स्वयं सन्यासियों के वस्त्र धारण करते हैपर उनके आचरण कालगर्ल्स
को भी मात करते है .प्रतिदिन नयी शिष्यों के साथ नजर आते है व उनकी
मज्ब्बोरियो का लाभ उठाकर उनका शोषण करते है , इनमे से कुछ स्वयं को संत
,तो कुछ गुरु तो कुछ महर्षि ,कुछ १००८ ,अथवा भगवान् कहलाना पसंद करते है
,इनके स्वयं के स्कूल ,कोलेज ,माल ,इंडस्ट्री ,टीवी .चैनेल तक है जो इनकी
निरंतर आय के स्त्रोत बने रहते है
पांचवे किस्म के बाबा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काम करते है
,जिनके देश के साथ विदेशो में भी आश्रम रहते है उनकी शिष्याएं भी विदेशी
होती है बड़े बड़े औद्योगिक घराने ,बड़े फिल्म स्टार ,खिलाडी उनके
शिष्य बने होते है ये बाबा भी विश्व शांति ,विश्व कल्याण के नाम पर अपना
ब्रांड बेचते है तथा बिना मेहनत कर करोड़ों रुपये पिटते है ,ऐसे बाबाओ से
कोई साधारण आदमी मिल भी नहीं सकता क्योकि वहां दर्शन हेतु भेंट पूजा भी
लाखों की होती है ,इनमे से कुछ हथियारों की दलाली से लेकर स्मगलिंग तक के
कम में लिप्त रहते है इनके संपर्क अंतर्राष्ट्रीय रहते है कुछ तो
स्वयं के नाम का मत चलते है .कुछ बाबा बड़े व्यापारिक समझौते भी करते है
जिसका कमीशन प्राप्त करते है ऐसे बाबाओ का समय समय पर पर्दाफाश भी हुआ
है.
कुछ कथित बाबा तो स्वयं मानसिक रूप से असंतुलित होते है .वे
लोगो को न ही प्रश्नों के सीधे जवाब देते है और न ही आशीर्वाद तक देने
लायक रहते है ,ये सार्वजनिक स्थलों पर पड़े रहते है श्रद्धालु उनके पास
आते है ,बाबाजी के हाथ पैर भी दबाते है सेवा करते है पर ये किसी को
पैसे फेंककर ,तो किसी को फल फेककर मार देते है तो किसी को हाथ पैर से ही
मार देते है .इनके इर्दगिर्द भी तमाशबीनों की भीड़ लगी रहती है ये न ही
कोई चमत्कार दिखा पते है व न ही किसी की झाड फूंक करने के लायक रहते है
,नहीं उपदेश देने का काम कर पते है फिर भी इनके पास अन्ध्श्रद्धलुओ का
आना जाना लगा रहता है ,
पिछले कुछ समय पहले देश में अनेक बाबाओ का भंडाफोड़
हुआ ,जिसके बाद उन्हें जेल जाना पड़ा आम लोग जिनमे अधिकांश
महिलाये होती है अन्धविश्वास में पड़कर अक्सर ऐसे धूर्त बाबाओ के
चक्कर में फंस जाती है तथा अपना शारीरिक ,व आर्थिक नुकसान करबैठती है
जबकि आम लोगों को ऐसे धूर्त बाबाओ के जाल में नहीं फंसना चाहिए
डॉ.दिनेश मिश्र नेत्र विशेषज्ञ, अध्यक्ष ,अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति
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