अंधविश्वास,डायन (टोनही) प्रताड़ना एवं सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जनजागरण

I have been working for the awareness against existing social evils,black magic and witchcraft that is prevalent all across the country and specially Chhattisgarh. I have been trying to devote myself into the development of scientific temperament among the mass since 1995. Through this blog I aim to educate and update the masses on the awful incidents & crime taking place in the name of witch craft & black magic all over the state.

Sunday, April 22, 2012

आध्यात्मिक बाबा  या कारोबारी  निर्मल बाबा .         निर्मलजीत सिंह नरूला के दिल्ली में निर्मल बाबा  बनकर बैठने व करोड़ों  रुपयों के वारे न्यारे करने की खबरे लगातार मिडिया में आ रही है ,जबकि उसी मीडिया के ३५ चैनल  रोजाना निर्मलजीत के कार्यक्रमों थर्ड आई  ऑफ़ निर्मल बाबा , जिन्हें वह समागम कहते  है ,का नियमित रूप से प्रसारण करते थे . ,असफल व्यवसायी  व ठेकेदार से आद्यात्मिक बाबा बने निर्मल नरूला ने आस्था वन लोगों  को फांसने का नायब तरीका निकाला.एक तो उसने  उपने  प्रायोजित  कार्यक्रमों  को समाचार चैनेलों   में लगातार प्रसारित  कराया जिससे अनेक लोग उसे समाचार समझते रहे ,दूसरा  अपने भक्तो से कार्यक्रम में शामिल होने की फ़ीस li जो दो हजार रुपये थी ,बच्चे  भी  यदि उस कार्यक्रम में जाना  चाहे  तो  उनसे भी पूरी फीस ली जाती थी  कथित बाबा ने यह भी प्रचार किया की उसकी कृपा लोगो को टी ,वी  ,  देखने से भी मिल  सकती है इसलिए जो लोग नहीं आ सकते है वे उसके टी वी में दिखाए जा रहे समागम में दिए जा रहे जा रहे बैंक के अकाउंट   नंबर  में ड्राफ्ट बना कर रुपये भेज सकते है .उससे भी उन्हें कृपा ,व आशीर्वाद मिलाता रहेगा . तीसरा  जो लोग समागम  टी वी   में देखते है ,उनमे से भी किसी का काम बन जाता है तो वे भी अपनी कमाई का दस प्रतिशत अर्थात    दसबंध  बाबाजी को भेज दे मतलब यह की यदि भक्त कार्यक्रम में आये तो दो हजार की टिकेट ख़रीदे ,सिर्फ टी वी में देखा तो पैसा भेजे  ,और यदि काम बन गया तो तब दश प्रतिशत कमीशन भेज देवे .डाल्टन गंज में ईट  भत्ते ,व रेडीमेड    कपडे के व्यापार   में असफल रहने वाले निर्मलजीत  ने लोगो में बैठे अन्धविश्वास को परख लिया तथा बाबागिरी के कारोबार   में प्रवेश कर लोगो की आस्था से खिलवाड़ करते हुए 237 करोड़ रुपये  की दौलत कमा  ली व उसका स्वयं के लिए उपयोग किया दिल्ली में होटल ख़रीदे ,फ्लेट खरीदे ,25 करोड़ का फिक्स दिपोसित बनाया ,यानि आम के आम और गुठलियों  के दाम .                                                                                                 
निर्मलजीत सिंह  उर्फ़ निर्मल बाबा का अन्धविश्वास का यह कारोबार धीरे धीरे  टी ,वी चैनलो में विज्ञापन के कारण देश भर में चर्चित होने लगा था .अनेक लोगों को अब भी आश्चर्य है की किसी भी तथाकथित योग ,साधना  तपस्या ,से दूर दूर   तक नाता नहीं रखने वाले होटलों में एश आराम की जिंदगी बिताने वाले निर्मल ने ऐसा कौन सा फार्मूला आजमाया की पढ़े लिखे ,समझदार लोग भी उसकी और  आकर्षित हो कर बाबा बाबा करने लगे ,बाबाजी की कृपा बरसाने का तरीका भी बड़ा अजीबोगरीब  था जो तर्क व वास्तविकता    की कसौटी पर बिलकुल नहीं उतरता बल्कि कामेडी सर्कस को टक्कर देते नजर आता है ,भक्त का प्रश्न कुछ ,तो बाबा का जवाब कुछ , समागम में शामिल होने वाले भक्तो के प्रश्नों के जवाब में कथित बाबा के उत्तर ऐसे है किकोई गुमसुम व्यक्ति भी खिलखिला कर हंस पड़े ,मसलन एक  महिला श्रद्धालु ने पूछा  बाबा  मेरी बेटी की शादी नहीं हो रही है  ,,बाबा ने उसकी बेटी  की उम्र व शिखा के बारे में जानने की बजाय  यह पूछा की उसने इडली कब खायी थी ,महिला ने कहा छै  माह पहले ,बाबा ने पूछा चटनी के साथ ,या बिना चटनी के , महिला ने कहा चटनी के साथ ,बाबा ने कहा अगली बार बिना चटनी के खाना कृपा आना  शुरू हो जायेगी ,अब भला किसी  की बेटी की शादी का  उसकी माँ के इडली खाने से क्या सम्बन्ध है .एक व्यक्ति ने कहा बाबा मेरी नौकरी नहीं लग रही है बाबा ने  उसकी शिक्षा  ,प्रशिक्षण के सम्बन्ध में जानकारी लेने की बजाय उससे ही पूछा  कभी मटका  देखा है व्यक्ति -बाबा घर में आजकल मटके नहीं है फ्रिज है ,बाबा पहले कभी देखा हो  व्यक्ति हाँ ,प्याऊ  में मटका देखा है  बाबा ने कहा मटके देख कर कैसा लगा व्यक्ति ने कहा अच्छा लगा  बाबा ने सुझाव दिया मटके देखा करो कृपा आना शुरू हो जाएगी ,एक बीमार व्यक्ति ने अपनी बीमारी व उपचार के बारे में जानना चाह तो बाबा ने उसकी बीमारी के नाम ,व अवधि तक  जानने में रूचि नहीं दिखाई बल्कि उससे पूछा गदहा  देखा है ,व्यक्ति ने जवाब दिया बहुत दिनों पहले देखा था ,बाबा ने पूछा किसी को  गदहा कहा है  ,व्यक्ति  ने कहा छै  माह पहले किसी कर्मचारी के गलती करने पर शायद कहा था ,बाबा ने कहा गदहा देखना व कहना   बंद   करो  .कृपा आना शुरू हो जाएगी व्यक्ति     आचम्भित   होकर   बैठ  गया  भला बीमारी का गदहे से क्या सम्बन्ध ,निर्मल  जीत सिंह बड़े मनमौजी कसम के इंसान है ,किसी भक्त ने रुपये पैसे की कमी की शिकायत की  तो बाबा ने उससे  म्हणत करने की बजायकहा बेटा काले रंग की पर्स  रखा  करो कृपा आना शुरू हो जाएगी ,लोगों ने काले रंग के पर्स खरीदने शुरू  कर दिए , एक भक्त ने पूछा बाबा पैसा नहीं रूकता क्या करू ,बाबा जी मौज में कहा दस रुपये की नयी गद्दी तिजोरी में रखा कर  नतीजन सबेरे बहुत से भक्त फिजूलखर्ची नहीं कर प्पैसा रोकने की बजाय दस रुपये की गद्दी लेने बैंक पहुचने लगे ,बैंक के कर्मचारी भी चकित की आज महंगाई के ज़माने में दस की गद्दी को तो कल तक कोई नहीं पूछता था अचानक क्या हो गया .किसी ने पूछा पूजा से लाभ नहीं हो रहा बाबा का जवाब था शिवलिंग को घर से बाहर कर दो  कृपा रूक रही है नातिजजन सैकड़ो शिवलिंग रातोरात बेघर हो गए .किसी ने पूछा बच्चे का मन पढाई  में नहीं लगता  बाबा का प्रतिप्रश्ना था कभी गोलगप्पे खाए है  वच्चे की माँ चकित बच्चे की पढाई से गोलगप्पे का क्या सम्बन्ध  ,बाबा ने आगे सुझाव दिया  सूजी की जगह आते के गोलगप्पे खाया करो कृपा पहुच जाएगी ,किसी ने पूछा काम नहीं बन रहा बाबा ने यह नहीं पूछा की कौन सा काम ,कब से नहीं बन रहा बल्कि पूछा कुत्ते की दम देखी है क्या ,,किसी ने पूछा बिसनेस में दौन्फल आ रहा बाबा ने कहा हवाई जहाज में चला करो ,किसी ने पूछा व्यापार  मंदा  चल रहा बाबा ने धुन में कहा राजधानी एक्सप्रेस  में चला करो स्लो ट्रेन में बैठने से कृपा रूक रही है ,,किसी को कहा अपने माँ  बाप की फोटो हटा दो , बाबा लोगो के प्रश्नों का जवाब देने में दिमाग नहीं लगते  जैसा मूड हुआ  वैसा जवाब  उसके बाद   भी कुछ भक्त खुश  
   
     पूरे संसार में किसी  भी बाबा  ने अपने भक्तों को उसकी बीमारी ,पढाई ,नौकरी ,शादी ,कारोबार  जैसे समस्याओ के  इतने  मजेदार  ,रोचक समाधान नहीं दिए इससे अन्ध्शद्धालू  लोग निर्मल बाबा  के अनोखे समाधान की ओर आकर्षित  हो   गए  .समागमो में भीड़ बढ़ती गयी रुपयों का ढेर लगाने लगा बाबा ने किसी विद्यार्थी को अच्छे से पढने ,के लिए किसी व्यवसायी को मेहनत व ईमानदारी  से काम करने के लिए ,किसी बीमार को सही इलाज के लिए ,किसी प्रमोशन के लिए मेहनत  करने  के लिए नहीं कहा  . सिर्फ आसान,मजेदार ,मनोरंजक ,दिल बहलाने वाली बाते ही की 
         कुछ व्यक्तियों  ने बाबा पर धोखाधड़ी के आरोप लगाये है जैसे युवराज सिंह के परिवार का कहना है की बाबा ने उनसे  कैंसर ठीक करने   के लिए बीस लाख से अधिक रुपये  ले लिए  जब कैंसर ठीक नहीं हुआ ,तो क्रिकेटर युवराज सिंह ने अमेरिका में जाकर कीमोथेरपी करा कर  अपनी जान बचाई  वाही लुधियाना केइंदरजीत आनंद  व परिवार ने बाबा पर एक करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप लगा कर पुलिस में रिपोर्ट की है .बाकि के धोखा खाए भक्त भी सामने आ रहे है  अब बाबा का मन घबरा रहा है कृपा और शक्ति  भी साथ नहीं दे रही है  वे भक्तो की शरण में आ गए है  की भक्त उन पर कृपा करें व उन्हें न्यूज  चैनलों   व कानून से बचाए .मीडिया व पुलिस में की गयी शिकायतों व बढ़ते  हुए जनाक्रोश की तसारी आँख से बाबा की थर्ड आई  भी खतरे में आ गयी  ,तथाकथित बाबा  का अन्धविश्वास बढ़ने ,व कृपा बरसाने का कारोबार मंदा पड़ता जा रहा है  .                                                        डॉ.दिनेश मिश्र   नेत्र विशेषज्ञ  एवं अध्यक्ष अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति                                                                  

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