दोस्तों मैं 26 जनवरी को गरियाबंद जिले
के फिन्गेश्वर ब्लॉक के लचकेरा गांव गया था जहाँ डायन/टोनही के संदेह में
अमानुषिक रूप से प्रताडित महिलाओं से उनके घर जा कर मिला उनके दुख सुख की
बातें सुनी उनमें से एक महिला ने मुझे पानी पिलाया तो एक ने अपने हाथों से
चाय बना कर स्वयं दी तो एक महिला ने मेरे साथ बैठ कर काफी देर तक अपने साथ
हुई प्रताडना की जानकारी दी .वहाँ पर मौजूद कुछ लोगों को लगने लगा था कि
मेरे स्वास्थ्य के साथ कुछ विपरीत हो सकता है .लचकेरा के तथा अन्य गांव
वासियों से मैं यह कहना चाहता हूँ कि जब उन महिलाओं के साथ बैठने,उनके
द्वारा दिये पानी पीने,उनके द्वारा बनायी चाय पीने के बाद भी जब आज तक
बीमार नहीं हुआ तो उनके देखने मात्र से बात करने से कोई कैसे बीमार हो सकता
है .डायन /टोनही ,जादू टोने की मान्यता अंधविश्वास है और अपने इस
अंधविश्वास के कारण किसी निर्दोष को मारना एकदम गलत है .यह मैंइतने माह
बाद भी सिर्फ इस लिए लिख रहा हूं कि वहाँ पर कुछ लोगों का मानना था कि जादू
टोने का असर धीरे भी होता है .यकीन मानिये कोई नारी डायन/टोनही नहीं होती.
Sunday, June 21, 2015
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