#झारखण्ड में डायन के सन्देह 3 हत्याएं, निंदनीय डॉ .दिनेश मिश्र
#जादू टोने की मान्यता सिर्फ अंधविश्वास., डॉ. दिनेश मिश्र
#अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने झारखंड के राँची के पास सोनहातु थाने के अंतर्गत ग्राम राणा डीह में डायन के सन्देह में 3 महिलाओं की नृशंस हत्या की कड़ी निंदा की है
डॉ दिनेश मिश्र ने कहा जादू टोना जैसे अंधविश्वास के कारण हुई यह घटना अत्यंत निर्मम और शर्मनाक है। दोषी व्यक्तियों को गिरफ्तार कर कर उस पर कड़ी कार्यवाही होना चाहिए.
डॉ. दिनेश मिश्र ने जानकारी दी शुक्रवार को राणाडीह गांव में ही रहनेवाले एक युवक राजकिशोर सिंह मुंडा को उसके घर के अंदर एक करैत सांप ने डंस लिया। गांव के ही ओझा से उसे झड़ाया गया, पर वह नहीं बचा। बताया जाता है कि ओझा ने कहा कि डंसने वाला साधारण सांप नहीं था, यह किसी डायन की करतूत है। यह सांप चाल थी। राजकिशोर तमाड़ के एक कॉलेज में इंटर में पढ़ता था। गांव के लोग भी बहुत दुखी थे। तब ओझा ने लोगों से कहा वह भी जादू टोना कर एक सांप छोड़ेगा, जिस किसी के घर में सांप घुस किसी को डंसेगा तो समझना उस घर में डायन है। अगले ही दिन यानी शनिवार को राईलू देवी के घर में घुसा सांप उसके बेटे को डंस लिया। तब गांव के लोगों ने यह मान लिया कि राईलू देवी डायन है। उसे तंत्र मंत्र आता है। राईलू देवी को पकड़ कर घर से बाहर लाया गया। उसे खूब टार्चर किया गया, उसके साथ ढोली देवी और आलामुनी देवी नामक तीनों महिलाओं को पकड़कर घने जंगल की तरफ ले गये। जंगल में ही एक पहाड़ पर तीनों को ले जाया गया। वहां पत्थर से मार मार कर तीनों को मौत के घाट उतार दिया गया।
डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा बरसात के मौसम में ग्रामीण अंचल में साँप निकलना आम बात है,और सर्प दंश के अनेक मामले पूरे देश से सामने आते हैं ,सही वक्त पर सही उपचार मिलने पर दंश के शिकार लोग बच जाते है.सर्प को तंत्र मंत्र ,जादू से बनाने की बात कहना अंधविश्वास है. जादू टोने का कोई अस्तित्व नहीं है,इसलिए जादू टोने से किसी भी व्यक्ति को बीमार करने,नुकसान पहुंचाने की धारणा मिथ्या है ,इस अंधविश्वास के कारण किसी भी महिला,या किसी भी ग्रामीण को प्रताड़ित करना अनुचित, गैरकानूनी है. कोई महिला टोनही नहीं होती. डायन/टोनही के सन्देह में हुई प्रताड़ना के लिए दोषी व्यक्तियों पर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए. ग्रामीणों से अपील है ,वे अंधविश्वास में पड़कर कानून अपने हाथों में न लें.
वैज्ञानिक जागरूकता के विकास से विभिन्न अंधविश्वासों व कुरीतियों का निर्मूलन संभव है,
हमारे देश में अनेक जाति, धर्म के लोग हैं जिनकी परंपराएँ व आस्था भी भिन्न-भिन्न है लेकिन धीरे धीरे कुछ परंपराएँ, अंधविश्वासों के रूप में बदल गई है। जिनके कारण आम लोगों को न केवल शारीरिक व मानसिक प्रताडऩा से गुजरना पड़ता है. कुछ चालाक लोग आम लोगों के मन में बसे अंधविश्वासों, अशिक्षा व आस्था का दोहन कर ठगते हैं। उन अंधविश्वासों व कुरीतियों से लोगों को होने वाली परेशानियों व नुकसान के संबंध में समझा कर ऐसे कुरीतियों का परित्याग किया जा सकता है।
डॉ. मिश्र ने कहा देश के अनेक प्रदेशों में डायन/ टोनही के सन्देह में प्रताडऩा की घटनाएँ आम है ,जिनमें किसी महिला को जादू-टोना करके नुकसान पहुँचाने के संदेह में हत्या, मारपीट कर दी जाती है जबकि कोई नारी टोनही या डायन नहीं हो सकती, उसमें ऐसी कोई शक्ति नहीं होती जिससे वह किसी व्यक्ति, बच्चों या गाँव का नुकसान कर सके। जादू-टोने के आरोप में प्रताडऩा रोकना आवश्यक है। अंधविश्वासों के कारण होने वाली टोनही प्रताडऩा/बलि प्रथा जैसी घटनाओं से भी मानव अधिकारों का हनन हो रहा है।
डॉ. मिश्र ने कहा समाज में जादू-टोना, टोनही आदि के संबंध में भ्रमक धारणाएँ काल्पनिक है, जिनका कोई प्रमाण नहीं है। पहले बीमारियों के उपचार के लिए चिकित्सा सुविधाएँ न होने से लोगों के पास झाड़-फूँक व चमत्कारिक उपचार ही एकमात्र रास्ता था, लेकिन चिकित्सा विज्ञान के बढ़ते कदमों व अनुसंधानों ने कई बीमारियों, संक्रामकों पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया है तथा कई बीमारियों के उपचार की आधुनिक विधियाँ खोजी जा रही है। बीमारियों के सही उपचार के लिए झाड़-फूँक, तंत्र-मंत्र की बजाय प्रशिक्षित चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।अभी कोरोना काल में चिकित्सा विज्ञान के कारण महामारी के नियंत्रण में सफलता मिली है और वैक्सीन के बनने और लगने से काफी प्रभाव पड़ा है.
समिति जागरूकता अभियान के साथ इस मामले की शिकायत राष्ट्रीय महिला आयोग,तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से भी कर रही है तथा प्रताड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए कार्य करेगी .
डॉ दिनेश मिश्र ,
अध्यक्ष अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति
Mob.9827400859
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