अंधविश्वास,डायन (टोनही) प्रताड़ना एवं सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जनजागरण

I have been working for the awareness against existing social evils,black magic and witchcraft that is prevalent all across the country and specially Chhattisgarh. I have been trying to devote myself into the development of scientific temperament among the mass since 1995. Through this blog I aim to educate and update the masses on the awful incidents & crime taking place in the name of witch craft & black magic all over the state.

Sunday, August 27, 2017

टोनही प्रताडऩा के मामले फास्ट ट्रेक कोर्ट में चलाया जाये : डॉ. दिनेश मिश्र
प्रताडि़त महिला की मृत्यु 16 वर्षों में न न्याय मिला न मुआवजा
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉक्टर दिनेश मिश्र ने बताया कि आज से 16 वर्षों पहले फिंगेश्वर ब्लॉक के ग्राम लचकेरा में जिन तीन महिलाओं को जादू-टोने के संदेह में सार्वजनिक रूप से प्रताडि़त किया गया था तथा अब तक हुए अपने ऊपर हुए अत्याचार तथा बदनामी के कलंक से कानून से जिस न्याय कथा राहत की उम्मीद कर रही थी उनमें से एक बुजुर्ग महिला श्याम बाई का पिछले कुछ समय पहले ग्राम लचकेरा में ही निधन हो गया जो कि काफी दुखद और घटना है। 
डॉ. दिनेश मिश्र ने बताया कि ग्राम लचकेरा में एक महिला की बीमारी को लेकर 22 अक्टूबर 2001 में गांव के बैगाओं के कहने पर तीरिथ बाई बिसाहीन भाई और श्याम बाई नामक 3 महिलाओं को घर से निकाल कर गांव के मंदिर में ले जाकर ना केवल निर्वस्त्र किया गया उनकी सामूहिक पिटाई की गई। उन्हें उसी अवस्था में गांव घर में घुमाया गया उन्हें बिजली के पोल से करंट लगाया गया तथा रात होने पर उन्हें उनके हाल में छोड़ दिया गया था और पुलिस में शिकायत करने पर और बुरा अंजाम होने की धमकी दी गयी थी । इस मामले की शिकायत भी उन्हीं में से एक पीडि़़त तीरिथ बाई  ने खुद फिंगेश्वर थाने में जाकर की थी जिस पर 2 दर्जन से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था तथा उनके खिलाफ जुर्म कायम हुआ था स्थानीय न्यायालय में मुकदमा चला दोषियों को कारावास की सजा तथा प्रताडि़़त महिलाओं को  एक-एक लाख रुपए मुआवजा देने का निर्णय हुआ, पर उसके बाद से अभियुक्तों के अपील में चले जाने से आज तक मामला लंबित है न ही दोषियों को सजा हुई न ही महिलाओं को आर्थिक मदद मिली और ना ही उनकी बदनामी का कलंक छूट पाया उनमें से लगभग सभी अपराधी आज भी गांव में ही स्वतंत्र घूम रहे हैं हैं जिससे उन महिलाओं में तथा उनके परिवार के लोगों में अभी भी डर बसा हुआ है। समिति ने प्रशासन विधिक सेवा आयोग मानव अधिकार आयोग, उच्च न्यायालय को पत्र लिखकर इन मामलों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में निपटाए जाने की मांग कई बार की है जिससे प्रताडि़त महिलाओं को जल्द न्याय मिल सके तथा उन्हें अपमानित करने वाले दोषियों को सजा हो। पर उसके बाद भी आज तक कोई सक्षम कार्यवाही नहीं हो पाई जिससे पीडि़़ता और उनके परिजनों के मन में घोर निराशा है समिति ने उक्त महिलाओं को समाज की मुख्यधारा में जोडऩे के लिए उक्त गांव में भी कई बार अभियान चलाया। पिछले गणतंत्र दिवस के अवसर पर उन महिलाओं का सार्वजनिक रुप से सम्मान भी किया गया था, रक्षाबंधन में भी  कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें गांव की महिलाएं भी उपस्थित थे इसके साथ ही बीच-बीच में उन्हें आर्थिक एवं चिकित्सकीय सहायता भी उपलब्ध कराई जाती रही। 
डॉ. मिश्र ने कहा टोनही प्रताडऩा जैसी सामाजिक कुरीतियों के आपराधिक मामलों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाए जाने की आवश्यकता है तथा इन मामलों में जब एक बार पुलिस तथा चिकित्सा की जांच में यह तय हो जाता है कि उन महिलाओं के साथ प्रताडऩा हुई है तो उन्हें तत्काल मुआवजा प्रदान किए जाने की व्यवस्था होना चाहिए जो भले ही बाद में शासन अपराधियों से जुर्माने के रुप में वसूले क्योंकि लंबे समय तक चलने वाले मामलों में पीडि़़त व्यक्ति और उसका परिवार आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान होते रहता है और समय गुजरते जाता है और व्यक्ति निराश होने लगता है जो कि ना केवल किसी व्यक्ति के मानवाधिकार के खिलाफ है बल्कि एक स्वस्थ समाज के लिए सही नहीं है श्याम बाई की मृत्यु की खबर मिलने पर समिति के सदस्य उसके घर गए और उसके पुत्र व परिवार से भेट कर सांत्वना दी उप सरपंच से प्रताडि़त अन्य दोनों महिलाओं से मिले उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा की जानकारी ली और जागरूकता अभियान चलाया।

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