अंधविश्वास,डायन (टोनही) प्रताड़ना एवं सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जनजागरण

I have been working for the awareness against existing social evils,black magic and witchcraft that is prevalent all across the country and specially Chhattisgarh. I have been trying to devote myself into the development of scientific temperament among the mass since 1995. Through this blog I aim to educate and update the masses on the awful incidents & crime taking place in the name of witch craft & black magic all over the state.

Sunday, September 18, 2022

  बिजली गिरने पर तुरंत अस्पताल ले जायें .डॉ दिनेश मिश्र

@ गोबर में गाड़ना नहीं है इलाज.
# वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ एवं अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने कहा बरसात के मौसम में बारिश के साथ बादलों की गड़गड़ाहट तथा बिजली गिरने की अनेक घटनाएं सामने आती हैं ,जिसमें व्यक्ति को त्वरित चिकित्सकीय उपचार की आवश्यकता होती है . पर  अंधविश्वास के चलते पीड़ित व्यक्ति को गोबर के गड्ढे में  कंधे तक गाड़ कर इलाज करने के मामले छत्तीसगढ़, बिहार ,झारखण्ड, ओडिशा के ग्रामीण अंचलों से सामने आते है ,गम्भीर रूप से घायल मरीज को अस्पताल पहुंचाने की बजाय गोबर के गड्ढे में डालकर ठीक होने का इंतजार करते रहना ,इलाज नहीं,अंधविश्वास है.
डॉ दिनेश मिश्र ने कहा कुछ दिनों पहले जशपुर ,सरगुजा  में 3 व्यक्तियों पर बिजली गिरी थी तथा वे बुरी तरह घायल हो गए थे ,वहाँ उन्हें ग्रामीणों ने उपचार के लिए एक गड्ढे में डाल कर  गोबर भर दिया ,बाद में समझाने बुझाने पर उन्हें अस्पताल भेज गया तब तक उनकी मृत्यु हो गयी थी , छत्तीसगढ़ के  ग्रामीण अंचल सरगुजा के बैकुंठपुर कोरिया, रायगढ़ तथा अन्य ग्रामीण क्षेत्र  से बिजली गिरने पर गोबर के गड्ढे में डालने की घटनाएं सामने आयी है,जिनमें पीड़ित व्यक्ति अपनी जान से हाथ धो बैठता है.
डॉ. दिनेश मिश्र ने बताया दुनिया में हर साल बिजली गिरने की करीब 2 लाख 40 हज़ार घटनाएं दर्ज होती हैं. इन घटनाओं में कितनी जानें जाती हैं, इसे लेकर कई तरह के अध्ययन अलग आंकड़े बताते हैं. एक स्टडी की मानें तो दुनिया में 6 हज़ार लोग हर साल बिजली गिरने से मारे जाते हैं.
दूसरी तरफ, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की मानें तो सिर्फ 
भारत में प्रतिवर्ष करीब 2500 व्यक्तियों की मृत्यु बिजली गिरने से होती है, जबकि इनसे कई गुणा व्यक्ति बिजली गिरने से आहत होते है अनेक व्यक्ति अस्पताल पहुंचाए जाने के पहले ही दम तोड़ देते है,और हजारों तो कुछ अंधविश्वास और स्थानीय स्तर पर झाड़फूंक ,उपचार करते रहने के कारण अस्पताल ही नहीं ले जाये जाते कुछ मामलों में तो पीड़ित को 2 घण्टे गोबर में गाड़ने पर ठीक नही होने पर उसे दुबारा गोबर में ही गाड़ दिया गया.
डॉ दिनेश मिश्र ने बताया आकाश में बादलों के टकराव/घर्षण से इलेक्ट्रिसिटी उत्पन्न होती है जो तीव्र गति से पृथ्वी की ओर आती है इसे ही बिजली गिरना ,तड़ित कहते हैं, आकाशीय बिजली में 10 करोड़ वोल्ट तथा 10 हजार एम्पीयर से अधिक करेंट होता है जो बहुत शक्तिशाली होता है ,हम अपने घरों जो विद्युत उपयोग करए हैं वह मात्र 220 वोल्ट होता है ,जब बादलों में घर्षण से विद्युत उत्पन्न होती है तब यह 3 लाख किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से पृथ्वी पर आती है तथा इसमें 15 हजार डिग्री फैरनहाईट की ऊष्मा होती है जो सूर्य की ऊष्मा से भी अधिक होती है,चूँकि प्रकाश की गति ध्वनि की गति से अधिक होती है इसलिए बिजली गिरती हुई पहले दिखाई देती है ,आवाज बाद में सुनाई देती है.
डॉ दिनेश मिश्र ने बताया बरसात के मौसम बिजली गिरने का खतरा बना रहता है इसलिए जब बरसात हो रही हो ,बादल गरज रहे हों तब व्यक्ति को सावधानियां रखना चाहिए जैसे बिजली के उपकरणों को बंद रखें ,लैंडलाइन फोन का उपयोग न करें, पेड़,बिजली के खम्भे, ऊंचे स्थानों के पास न खड़े हों,धातु /मेटल के उपकरण मशीने,बाइक, का उपयोग न करें,यहां तक धातु के हेंडल वाले छाते का उपयोग न करें .यदि स्नान कर रहे हो तब भी नदी ,नाले तालाबो से बाहर निकलें,बचाव के लिये जमीन पर न लेटें बल्कि बैठे घुटनों पर हाथ रख  सिर झुका बैठे सिर जमीन पर न टिकाएं ।घर,दुकान ,बिल्डिंगों में तड़ित चालक लगायें .
डॉ  दिनेश मिश्र ने बताया बिजली गिरने से व्यक्ति की हृदय गति रुकने, साँस रुकने ,से मृत्यु हो जाती है जलने के निशान,कान के परदों का फट जाना ,मोतियाबिंद , शरीर में खास कर दिमाग मे रक्तस्राव ,खून के थक्के जमना,लकवा,डिप्रेशन आदि होने की सम्भावना रहती है बिजली गिरने से पीड़ित व्यक्ति के उपचार के लिए उसे यथासम्भव अतिशीघ्र अस्पताल ले जाना चाहिए,जहां उसे भरती कर उसके हृदय , सांस, सहित पूरे शरीर की सही ढ़ंग से जांच हो सके,एवम् सही इलाज हो सके 
डॉ दिनेश मिश्र ने कहा ,बिजली गिरने से पीड़ित मरीज को गोबर से भरे  गड्ढे में गाड़ कर रखना,झाड़ फूंक करना,उसे ठंडे पानी से नहलाना उस मरीज के स्वास्थ्य के साथ, अंधविश्वास तथा आपराधिक लापरवाही है ,इससे उस प्रभावित मरीज की बचने की संभावना कम हो जाती है बल्कि शासन को ऐसे स्थानों को चिन्हित कर वहां बरसात के मौसम में  कम से कम 10 बिस्तरों का  इंटेंसिव केयर यूनिट बना कर त्वरित चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध करानी चाहिए.ताकि लोगों की प्राण रक्षा की जा सके.
 डॉ दिनेश मिश्र ,नेत्र विशेषज्ञ 

 # बकरीद पर मेमने को जरूरतमंद परिवार को दान,केक काट कर  मनाने की सफल पहल डॉ दिनेश मिश्र .

#अपील रंग ला रही #
     @ईदुज्जुहा(बकरीद) में जीवित प्राणी की कुर्बानी देने के बदले केक काटकर  धार्मिक रस्म अदा  करने की, डॉ.  दिनेश मिश्र  की अपील का अब धीरे धीरे असर होने लगा है.
सन 2016 में डॉ दिनेश मिश्र के असम प्रवास के बाद पिछले कुछ वर्षों से असम के  एक विज्ञान शिक्षक ने प्रति वर्ष एक  मेमने  को एक जरूरतमंद परिवार को दान देना आरम्भ किया ,कि वे उसका पालन करेंगे और वे इस त्यागकी भावना  के साथ प्रति वर्ष  ईद मनाते हैं ,वही अन्य स्थानों पर सम्पर्क ,अपील से  लखनऊ, आगरा, के अलावा मुजफ्फरपुर, गाजियाबाद, सहित अनेक स्थानों से पशु की कुर्बानी के बदले केक काट कर बकरीद मनाने के उदाहरण सामने आ रहे  हैं   .
# अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने बताया  असम के धुबरी में रहने वाले विज्ञान शिक्षक श्री अहमद हुसैन ने बकरीद में स्वयं के द्वारा पाले हुए  मेमने  की कुर्बानी देने के बदले  स्थानीय जरूरतमंद परिवार को दान  किया ताकि उस परिवार को मदद हो सके. वहीं कुछ अन्य स्थानों से भी सकारात्मक खबरे आयी है जिनमें इस वर्ष मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, दिल्ली,    सहित अनेक प्रदेशों में यह  सकारात्मक पहल हुई .
 डॉ दिनेश मिश्र ने कहा   जन जागरूकता प्रयासों के चलते  देश के कुछ स्थानों से पिछले वर्ष वर्ष पहली बार  जीवित प्राणी की कुर्बानी देने के बदले  केक काटकर धार्मिक रस्म अदा करने के इको फेंडली ईद मनाने के  उदाहरण सामने आए.  जो इस बार बढ़े हैं .
 अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने कहा देश के अनेक राज्यों में पशुबलि के निषेध के सम्बंध में कानून बने हुए हैं पर उनका  पालन न होने से लाखों निर्दोष मासूम पशुओं की कुर्बानी /बलि दी जाती है ।  जबकि सभी धर्म प्रेम,अहिंसा की शिक्षा देते हैं ,अपनी मनोकामनाओं  की पूर्ति के लिए किसी दूसरे प्राणी की जान लेना ठीक नहीं है।
डॉ दिनेश मिश्र ने कहा पिछले अनेक वर्षों से विभिन्न धार्मिक अवसरों पर पशु की कुर्बानी, पशु वध/बलि की  कुरीति /परम्परा के विरोध में जनजागरण कर रही हैं चार वर्ष पूर्व महाराष्ट्र के कोराडी के मंदिर में,तथा कुछ अन्य स्थानों में नवरात्रि में  बलि प्रथा बंद हुई है ,वहीं बकरीद में भी अनेक स्थानों में मुस्लिम धर्मावलंबियों ने कुर्बानी की प्रथा का परित्याग किया ,पिछले कुछ समय से अन्य देशों के साथ भारत में भी लखनऊ आगरा ,मेरठ मुजफ्फरपुर,  रायपुर, दमोह, नगरी, जयपुर, उदयपुर, बालाघाट, शिवपुरी 
सहित अनेक स्थानों में जन जागरण के प्रयासों से लोगों ने ईदुज्जुहा(बकरीद) में बकरे के स्थान पर केक काटा,कुछ स्थानों पर तो लोगों ने केक पर ही बकरे का चित्र लगाया और,कुछ स्थानों पर चॉकलेट का  बकरा बना कर न केवल सांकेतिक रूप से धार्मिक रस्म अदा की ,बल्कि निर्दोष प्राणियों की रक्षा भी की . डॉ .दिनेश मिश्र ने कहा महात्मा बुद्ध और महावीर स्वामी भी अहिसा के सिद्धांत को प्रचारित करते रहे  महावीर स्वामी ने जियो और जीने दो के सिद्धांत को प्रमुखता दी है, वही अपने उद्धरणों में महात्मा बुद्ध ने कहा है कि मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है  यदि हम किसी को जीवन नहीं दे सकते ,तो हमें किसी का जीवन लेने का अधिकार नहीं है । 
डॉ दिनेश मिश्र ने कहा है कुर्बानी का अर्थ त्याग करना होता है ,अपनी ओर से किसी जरूरतमंद को आवश्यकतानुसार   नगद राशि,दवा,कपड़े ,किताबें ,स्कूल फीस आदि दान कर भी आत्मसंतुष्टि पाई जा सकती है,साथ ही  देश के अन्य प्रदेशों की तरह    किसी जिंदा प्राणी  को काट कर उसकी जान कुर्बान करने के स्थान पर केक काट कर न केवल धार्मिक रस्म अदा करने बल्कि निर्दोष प्राणी की जान बचाने की पहल  की जा सकती है और आगामी वर्षों में ऐसे प्रगतिशील कदमों में और भी अधिक परिवारों के जुड़ने का विश्वास है.
डॉ. दिनेश मिश्र 

  कोई नारी डायन/टोनही नहीं : डॉ. दिनेश मिश्र,  

@ सावधानी रखकर बीमारियों से बचे
@ हरेली में  रात्रि भ्रमण,

# अंधविश्वास, पाखंड व सामाजिक कुरीतियों के निर्मूलन के लिए कार्यरत संस्था अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र  ने कहा हरियाली के प्रतीक हरेली अमावस्या की रात को ग्रामीणजनों के मन से टोनही, भूत-प्रेत का खौफ हटाने के लिए समिति ने गांवों मे रात्रि भ्रमण कर ग्रामीणजनों से संपर्क किया,,समिति के दल ने रात्रि 10.00 बजे से रात्रि 3.00 बजे तक  रायपुरा, अमलेश्वर, अमलेश्वरडीह, कोपेडीह, मोहदा झीठ भटगांव, मुजगहन, ,ग्रामों का दौरा किया। रात्रि में नदी तट ,तालाब,श्मशान घाट पर भी गए.कहीं कहीं ग्रामीणों ने जादू-टोना, झाडफ़ूंक पर विश्वास होने की बात स्वीकार की। लेकिन किसी ने भी कोई अविश्वसनीय चमत्कारिक घटना की जानकारी नहीं दी। समिति के दल  में शामिल डॉ दिनेश,मिश्र  डॉ.शैलेश जाधव, ज्ञानचंद विश्वकर्मा, डॉ प्रवीण देवांगन, प्रियांशु पांडे,  डॉ.बंछोर ने अनेक ग्रामीणों से चर्चा  की.
 डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा ग्रामीण अंचल में हरियाली अमावस्या (हरेली) के संबंध में काफी अलग अलग मान्यताएं हैं अनेक स्थानों पर इसे जादू-टोने से जोड़कर भी देखा जाता है, कहीं-कहीं यह भी माना जाता है कि इस दिन, रात्रि में विशेष साधना से जादुई सिद्वियां प्राप्त की जाती है जबकि वास्तव में यह सब परिकल्पनाएं ही हैं, जादू - टोने का कोई अस्तित्व नहीं है तथा कोई महिला टोनही नहीं होती। पहले जब बीमारियों व प्राकृतिक आपदाओं के संबंध में जानकारी नहीं थी तब यह विश्वास किया जाता था कि मानव व पशु को होने वाली बीमारियां जादू-टोने से होती है। बुरी नजर लगने से, देखने से लोग बीमार हो जाते है तथा इन्हें बचाव के लिए गांव, घर को तंत्र-मंत्र से बांध देना चाहिए तथा ऐसे में कई बार विशेष महिलाओं पर जादू-टोना करने का आरोप लग जाता है वास्तव में सावन माह में बरसात होने से वातावरण का तापमान अनियमित रहता है, उमस, नमी के कारण बीमारियों को फैलाने वाले कारक  बैक्टीरिया,फंगस वायरस अनुकूल वातावरण पाकर काफी बढ़ जाते है। इस समय विश्व में कोरोना के संक्रमण का प्रकोप है जिससे बचाव के लिए भी सावधानी रखना आवश्यक है ,मास्क पहिनने  ,बार बार हाथ धोने ,आपसी दूरी बनाए रखने सोशल डिस्टेन्स बनाये रखने से कोरोना से बचा जा सकता है वही दूसरी ओर गंदगी, प्रदूषित पीने के पानी, भोज्य पदार्थ के दूषित होने, मक्खियां, मच्छरो के बढने से बीमारियां एकदम से बढ़ने लगती हैं  जिससे गांव, गांव में आंत्रशोध, पीलिया, वायरल फिवर,डेंगू, मलेरिया के मरीज बढ़ जाते है तथा यदि समय पर ध्यान नहीं दिया गया हो तो पूरी बस्ती ही मौसमी संक्रामक रोगों की शिकार हो जाती है। वहीं हाल फसलों व पशुओं का भी होता है, इन मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए पीने का पानी साफ हो, भोज्य पदार्थ दूषित न हो, गंदगी न हो, मक्खिंया, मच्छर न बढ़े,जैसी बुनियादी बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य संबंधी सावधानियां रखने से  लोग पशु कोरोना तथा अन्य संक्रमणों व बीमारियों से बचे रह सकते है। इस हेतु किसी भी प्रकार के तंत्र-मंत्र से घर, गांव बांधने की आवश्यकता नहीं है। साफ-सफाई अधिक आवश्यक है, इसके बाद यदि कोई व्यक्ति इन मौसमी बीमारियों से संक्रमित हो तो उसे फौरन चिकित्सकों के पास ले जाये, संर्प दंश व जहरीले कीड़े के काटने पर भी चिकित्सकों के पास पहुंचे। बीमारियों से बचने के लिए साफ-सफाई, पानी को छानकर, उबालकर पीने, प्रदूषित भोजन का उपयोग न करने तथा गंदगी न जमा होने देने जैसी बातों पर लोग ध्यान देंगे तथा स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहेंगे तो तंत्र-मंत्र से बांधनें की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। बीमारियों खुद-ब-खुद नजदीक नहीं फटकेंगी, मक्खिंया व मच्छर किसी भी कथित तंत्र-मंत्र से अधिक खतरनाक है। 
 डॉ. मिश्र ने कहा ग्रामीणजनों से अपील है कि वे अपने गांव में अंधविश्वास न फैलने दे तथा ध्यान रखें कि गांव में कोई महिला को जादूटोने के आरोप में प्रताडि़त न किया जाये। कोई भी नारी टोनही नही होती.  ग्रामीणों ने आश्वस्त किया कि उनके गांव में कभी भी किसी महिला को टोनही के नाम पर प्रताडि़त नहीं किया जावेगा तथा ध्यान रखेंगे कि आसपास में ऐसी कोई घटना न हो।  कुछ ग्रामीणों ने कहा  कि यह माना जाता है कि हरेली की रात टोनही बरती (जलती हुई) दिखाई देती है। लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि यह सब सुनी सुनायी बातें हैंै। समिति को कोई भी ऐसा प्रत्यक्षदर्शी नहीं मिला जिसने ऐसी कोई चमत्कारिक घटना देखी हो। लेकिन रात्रि में लोग खौफजदा रहते है और घर से बाहर निकलने में डरते है। ग्रामीण टोनही के अस्तित्व पर या उसके कारगुजारियों पर चर्चा जरूर करते हैं पर यह नहीं बता पाते कि किसी ने हरेली के रात वास्तव में कुछ करते हुए देखा। 
डॉ. मिश्र ने कहा कि सुनी सुनायी बातों के आधार पर अफवाहें एवं भ्रम फैलता है, वास्तव में ऐसा कुछ भी चमत्कार न हुआ है और न संभव है। इसलिये किसी भी को ग्रामीण को कथित जादू-टोने  अथवा टोनही भ्रम व भय में नहीं पडना चाहिए। 
 डॉ. दिनेश मिश्र

 #टोनही के संदेह में प्रताडि़त महिलाओं  ने डॉ. दिनेश मिश्र को राखी बाँधी

@अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति का ग्रामों में अभियान

#अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने रक्षाबंधन का त्यौहार  प्रदेश के ग्रामीण अंचल  में उन स्थानों पर जा कर  मनाया ,जहां जादू टोना, टोनही के आरोप में क्रूरतम शारीरिक एवम मानसिक प्रताडऩा दी गई थी पिछले कुछ वर्षों से समिति अंधविश्वास के कारण समाज से प्रताडि़त एवं बहिष्कृत महिलाओं को जोडऩे की इस मुहिम के अंतर्गत यह आयोजन कर रही है. 
जिसके अंतर्गत इस क्रम में समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र ने अपने साथियों सहित  ग्रामीण अंचल का  दौरा किया ,तथा  जाकर प्रताडि़त महिलाओं  तथा उसके परिजनों से मिले,  महिलाओं ने उन्हें राखी बांधी. प्रताडि़त  महिलाओं  ने बताया की अनेक बाद भी न ही उन्हें न्याय मिला है और तो और जो दोषी ग्रामीण हैं उन्हें सजा भी नहीं मिली है। समिति की ओर से डॉ. दिनेश मिश्र ने उन्हें हर संभव मदद एवं मार्गदर्शन का भरोसा दिलाया। इसके बाद समिति के सदस्यों ने ग्रामीणों से मुलाकात की और उन्हें टोनही प्रताडऩा से संबंधित पोस्टर पॉम्पलेट एवं किताबें भेंट की जिन्हें पंचायतों में लगाया जाएगा।
समिति के सदस्य ग्रामीणों से मिले तथा उन्हें किसी भी अंधविश्वास में ना पडऩे की समझाइश देते हुए डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा जादू - टोने का कोई अस्तित्व नहीं है तथा कोई महिला टोनही नहीं होती। पहले जब बीमारियों व प्राकृतिक आपदाओं के संबंध में जानकारी नहीं थी तब यह विश्वास किया जाता था कि मानव व पशु को होने वाली बीमारियां जादू-टोने से होती है तथा ऐसे में कई बार विशेष महिलाओं पर जादू-टोना करने का आरोप लग जाता है।  गंदगी, प्रदूषित पीने के पानी, भोज्य पदार्थ के दूषित होने, मक्खियां, मच्छरो के बढने से बीमारियां एकदम से बढ़ जाती है तथा पूरी बस्ती ही मौसमी,वायरल, संक्रामक रोगों की शिकार हो जाती है। वहीं हाल फसलों व पशुओं का भी होता है, इन मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए पीने का पानी साफ हो, भोज्य पदार्थ दूषित न हो, गंदगी न हो, मक्खिंया, मच्छर न बढ़े, सोशल डिस्टेंस,हाथों को बार बार धोने, मास्क,पहिनने सेनेटाइजर,जैसी बुनियादी बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

 #  डायरिया में तंत्र मंत्र से गांव बांधने के बदले सावधानी रखें. डॉ. दिनेश मिश्र

@ धमधा के धौराभाटा को बांधने का  मामला.

#  अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ.
 डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा   पिछले सप्ताह धमधा के धौराभाटा से समाचार मिला है कि वहाँ गाँव मे डायरिया का संक्रमण  वृहद स्तर पर फैला है जिससे काफी ग्रामीण प्रभावित हुए है.तथा गांव में सरपंच व अन्य ग्रामीणों ने बैठक कर हर घर से चार सौ रुपये चंदा  लिया औरइस प्रकार 210 घरों से चौरासी हजार रुपये एकत्र किये तथा उन पैसों से गांव को डायरिया से ठीक करने के लिए  उपचार कराने के बदले एक बैगा को दैवीय प्रकोप  ठीक करने के लिए बुलाया, उस बैगा ने  गांव को तंत्र मंत्र से बांधने के लिए अनुष्ठान की तथाकथित प्रक्रिया पूरी की .जो कि विश्वसनीय नहीं है. पूरी तरह से अंधविश्वास का मामला है.
डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा बरसात के मौसम में संक्रामक रोग तेजी से फैलते हैं . इस बार भी कुछ गांवों से जल प्रदूषण से  डायरिया ,,संक्रमण से बुखार , सर्दी खांसी, के मामले आ रहे हैं.और उपचारऔर सावधानियां रखने से लोग ठीक हो रहे हैं.
  जादू - टोने,जैसी मान्यताओं  का कोई अस्तित्व नहीं है तथा कोई महिला टोनही नहीं होती। पहले जब बीमारियों व प्राकृतिक आपदाओं के संबंध में जानकारी नहीं थी तब यह विश्वास किया जाता था कि मानव व पशु को होने वाली बीमारियां जादू-टोने ,मन्त्र पढ़ने से से होती है। बुरी नजर लगने से, देखने से लोग बीमार हो जाते है तथा इन्हें बचाव के लिए गांव, घर को तंत्र-मंत्र से बांध देना चाहिए तथा ऐसे में कई बार विशेष महिलाओं पर जादू-टोना करने का आरोप लग जाता है वास्तव में  बरसात के मौसम में  से वातावरण का तापमान अनियमित रहता है, उमस, नमी के कारण बीमारियों को फैलाने वाले कारक  बैक्टीरिया,फंगस वायरस अनुकूल वातावरण पाकर काफी बढ़ जाते है।पेय जल, भी प्रदूषित हो जाता है अनेक स्थानों में बाढ़ की भी स्थिति रहती है . इस समय विश्व में कोरोना के संक्रमण का प्रकोप है जिससे बचाव के लिए भी सावधानी रखना आवश्यक है ,मास्क पहिनने  ,बार बार हाथ धोने ,आपसी दूरी बनाए रखने सोशल डिस्टेन्स बनाये रखने से कोरोना और दूसरी संक्रामक बीमारियों  से बचा जा सकता है वही दूसरी ओर गंदगी, प्रदूषित पीने के पानी, भोज्य पदार्थ के दूषित होने, मक्खियां, मच्छरो के बढने से बीमारियां एकदम से बढ़ने लगती हैं  जिससे गांव, गांव में आंत्रशोध, पीलिया, वायरल फिवर,डेंगू, मलेरिया के मरीज बढ़ जाते है तथा यदि समय पर ध्यान नहीं दिया गया हो तो पूरी बस्ती ही मौसमी संक्रामक रोगों की शिकार हो जाती है।जैसा कि धौराभाटा व कुछ अन्य ग्रामों में हुआ  वहीं हाल फसलों व पशुओं का भी होता है, इन मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए पीने का पानी साफ हो, भोज्य पदार्थ दूषित न हो, गंदगी न हो, मक्खिंया, मच्छर न बढ़े,जैसी बुनियादी बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य संबंधी सावधानियां रखने से  लोग पशु कोरोना तथा अन्य संक्रमणों व बीमारियों से बचे रह सकते है। इस हेतु किसी भी प्रकार के तंत्र-मंत्र से घर, गांव बांधने की आवश्यकता नहीं है। साफ-सफाई अधिक आवश्यक है, इसके बाद यदि कोई व्यक्ति इन मौसमी बीमारियों से संक्रमित हो तो उसे फौरन चिकित्सकों के पास ले जाये, संर्प दंश व जहरीले कीड़े के काटने पर भी चिकित्सकों के पास पहुंचे। बीमारियों से बचने के लिए साफ-सफाई, पानी को छानकर, उबालकर पीने, प्रदूषित भोजन का उपयोग न करने तथा गंदगी न जमा होने देने जैसी बातों पर लोग ध्यान देंगे तथा स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहेंगे तो तंत्र-मंत्र से बांधनें की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। बीमारियों खुद-ब-खुद नजदीक नहीं फटकेंगी, मक्खिंया व मच्छर किसी भी कथित तंत्र-मंत्र से अधिक खतरनाक है। 
 डॉ. मिश्र ने कहा ग्रामीणजनों से अपील है कि वे अपने गांव में अंधविश्वास न फैलने दे 
डॉ. मिश्र ने कहा कि सुनी सुनायी बातों के आधार पर अफवाहें एवं भ्रम फैलता है, वास्तव में ऐसा कुछ भी चमत्कार न हुआ है और न संभव है। इसलिये किसी भी को ग्रामीण को कथित जादू-टोने  के भ्रम व भय में नहीं पडना चाहिए। 
 डॉ. दिनेश मिश्र

  महासमुंद जिले के कुछ  परिवारों का  सामाजिक बहिष्कार समाप्त करने में मिली सफलता. डॉ दिनेश मिश्र.


# सामाजिक बहिष्कार के सम्बंध में सक्षम कानून बने.

@ अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने बताया कुछ दिनों पहले
महासमुंद जिले में  कुछ परिवारों के  सामाजिक बहिष्कार होने की लिखित जानकारी प्राप्त हुई थी   है  बहिष्कार होने से भारत लाल,नीरज, डायमंड, अमरीका, त्रिवेणी बाई के  परिवारों के सदस्य  परेशान हो गए थे,  तब से उक्त परिवारों का बहिष्कार समाप्त करवाने का प्रयास किया जा रहा था  जिसके बाद अब एक बैठक के बाद  ग्रामीणों ने  उक्त परिवारों का बहिष्कार समाप्त कर दिया है,और इस बात की लिखित जानकारी भी दे दी है . समिति की ओर से इस मामले की जानकारी प्रशासन को भी  दी गयी थी .
डॉ .दिनेश मिश्र ने बताया ,सामाजिक बहिष्कार कर हुक्का पानी बन्द करने के   इस मामले में ग्राम अचानकपुर ,महासमुंद के कंवर  परिवार को    2015 में समाज से  बहिष्कृत कर दिया गया तथा उन का हुक्का पानी बंद कर अनेक पाबंदियां लगा दी गयी थी .जिससे उनसे कोई बात भी नही करता  था व उन्हें रोजी  मजदूरी से भी वंचित कर दिया गया .बहिष्कृत परिवार के सदस्यों ने बताया कि बहिष्कार वापसी के लिए,फिर  30 हजार रुपये जुर्माना भी लिया गया,फिर बाद में पुनः बहिष्कृत कर दिया गया .था .उक्त परिवार कमजोर
आर्थिक परिस्थिति के हैं और  बार बार इस प्रकार की प्रताड़ना होने से गांव में अपमानित और  असुरक्षित महसूस कर रहा था और एक दिन इस मामले की जानकारी लिखित में देते हुए मदद मांगी. 
इस मामले की लिखित शिकायत प्रशासन, शासन से करने के साथ ही  ग्रामीणों से सम्पर्क व समझाइश की जाती रही.ग्राम में बैठक आयोजित हुई और अंततः समझाइश के बाद उक्त परिवारों का बहिष्कार वापस लिया गया तथा लिखित  में समझौता किया   गया    

डॉ दिनेश मिश्र ने कहा देश का संविधान हर व्यक्ति को समानता का अधिकार देता है.
सामाजिक बहिष्कार करना, हुक्का पानी बन्द करना एक सामाजिक अपराध है तथा यह किसी भी व्यक्ति के संवैधानिक एवम मानवाधिकारों का हनन है ,प्रशासन को  ऐसे  मामलों पर कार्यवाही कर पीड़ितों को न्याय दिलाने की आवश्यकता है, साथ ही सरकार को सामाजिक बहिष्कार के  सम्बंध में एक सक्षम कानून बनाना चाहिए.ताकि किसी भी निर्दोष को ऐसी प्रताड़ना से गुजरना न पड़े.
किसी भी व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक रूप से  प्रताड़ना देना,उस का समाज से बहिष्कार करना  अनैतिक एवम गम्भीर अपराध है.
शासन से अपेक्षा है सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ सक्षम कानून बनाने की पहल करें  ताकि प्रदेश के हजारों बहिष्कृत परिवारों को न केवल न्याय मिल सके बल्कि वे समाज में सम्मानजनक ढंग से रह  सकें.



 #झारखण्ड में  डायन के सन्देह 3 हत्याएं, निंदनीय  डॉ .दिनेश मिश्र 

#जादू टोने  की मान्यता सिर्फ अंधविश्वास., डॉ. दिनेश मिश्र

#अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने झारखंड के  राँची के पास सोनहातु थाने के अंतर्गत  ग्राम राणा डीह में  डायन के  सन्देह में 3 महिलाओं की नृशंस हत्या की कड़ी निंदा की है 
 डॉ दिनेश मिश्र ने कहा जादू टोना जैसे अंधविश्वास के कारण  हुई यह घटना अत्यंत निर्मम और शर्मनाक है। दोषी व्यक्तियों को गिरफ्तार कर  कर उस पर कड़ी कार्यवाही होना चाहिए.
डॉ. दिनेश मिश्र ने जानकारी दी  शुक्रवार को राणाडीह गांव में ही रहनेवाले एक युवक राजकिशोर सिंह मुंडा को उसके घर के अंदर एक करैत सांप ने डंस लिया। गांव के ही ओझा से उसे झड़ाया गया, पर वह नहीं बचा। बताया जाता है  कि ओझा ने कहा कि डंसने वाला साधारण सांप नहीं था, यह किसी डायन की करतूत है। यह सांप चाल थी।  राजकिशोर तमाड़ के एक कॉलेज में इंटर में पढ़ता था। गांव के लोग भी बहुत दुखी थे। तब ओझा ने लोगों से कहा वह भी जादू टोना कर एक सांप छोड़ेगा, जिस किसी के घर में सांप घुस किसी को डंसेगा तो समझना उस घर में डायन है। अगले ही दिन यानी शनिवार को राईलू देवी के घर में घुसा सांप उसके बेटे को डंस लिया। तब गांव के लोगों ने यह मान लिया कि राईलू देवी डायन है। उसे तंत्र मंत्र आता है। राईलू देवी को पकड़ कर घर से बाहर लाया गया। उसे खूब टार्चर किया गया,  उसके साथ ढोली देवी और आलामुनी देवी  नामक तीनों महिलाओं को पकड़कर  घने जंगल की तरफ ले गये। जंगल में ही एक पहाड़ पर तीनों को ले जाया गया। वहां पत्थर से मार मार  कर तीनों को मौत के घाट उतार दिया गया।
डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा  बरसात के मौसम में ग्रामीण अंचल में साँप निकलना आम बात है,और सर्प दंश के अनेक मामले पूरे देश से सामने आते हैं ,सही वक्त पर सही उपचार मिलने पर दंश के शिकार लोग बच जाते है.सर्प को तंत्र मंत्र ,जादू से बनाने की बात कहना अंधविश्वास है. जादू टोने का कोई अस्तित्व नहीं है,इसलिए जादू टोने से किसी भी व्यक्ति को बीमार करने,नुकसान पहुंचाने की धारणा मिथ्या है ,इस अंधविश्वास के कारण किसी भी महिला,या किसी भी ग्रामीण को प्रताड़ित करना अनुचित, गैरकानूनी है. कोई महिला टोनही नहीं होती.   डायन/टोनही के सन्देह में हुई  प्रताड़ना के लिए दोषी व्यक्तियों पर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए. ग्रामीणों से अपील है ,वे अंधविश्वास में पड़कर कानून अपने हाथों में न लें.
वैज्ञानिक जागरूकता के विकास से विभिन्न अंधविश्वासों व कुरीतियों का निर्मूलन संभव है, 
हमारे देश में अनेक जाति, धर्म के लोग हैं जिनकी परंपराएँ व आस्था भी भिन्न-भिन्न है लेकिन धीरे धीरे कुछ परंपराएँ, अंधविश्वासों के रूप में बदल गई है। जिनके कारण आम लोगों को न केवल शारीरिक व मानसिक प्रताडऩा से गुजरना पड़ता है. कुछ चालाक लोग आम लोगों के मन में बसे अंधविश्वासों, अशिक्षा व आस्था का दोहन कर ठगते हैं। उन अंधविश्वासों व कुरीतियों से लोगों को होने वाली परेशानियों व नुकसान के संबंध में समझा कर ऐसे कुरीतियों का परित्याग किया जा सकता है। 
डॉ. मिश्र ने कहा देश के अनेक प्रदेशों में डायन/ टोनही के सन्देह में  प्रताडऩा की घटनाएँ आम है ,जिनमें किसी महिला को जादू-टोना करके नुकसान पहुँचाने के संदेह में हत्या, मारपीट कर दी जाती है जबकि कोई नारी टोनही या डायन नहीं हो सकती, उसमें ऐसी कोई शक्ति नहीं होती जिससे वह किसी व्यक्ति, बच्चों या गाँव का नुकसान कर सके। जादू-टोने के आरोप में  प्रताडऩा रोकना आवश्यक है। अंधविश्वासों के कारण होने वाली टोनही प्रताडऩा/बलि प्रथा जैसी घटनाओं से भी मानव अधिकारों का हनन हो रहा है।
 डॉ. मिश्र ने कहा समाज में जादू-टोना, टोनही आदि के संबंध में भ्रमक धारणाएँ काल्पनिक है, जिनका कोई प्रमाण नहीं है। पहले बीमारियों के उपचार के लिए चिकित्सा सुविधाएँ न होने से लोगों के पास झाड़-फूँक व चमत्कारिक उपचार ही एकमात्र रास्ता था, लेकिन चिकित्सा विज्ञान के बढ़ते कदमों व अनुसंधानों ने कई बीमारियों, संक्रामकों पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया है तथा कई बीमारियों के उपचार की आधुनिक विधियाँ खोजी जा रही है। बीमारियों के सही उपचार के लिए झाड़-फूँक, तंत्र-मंत्र की बजाय प्रशिक्षित चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।अभी कोरोना काल में चिकित्सा विज्ञान के कारण महामारी के नियंत्रण में सफलता मिली है और वैक्सीन के बनने और लगने से काफी प्रभाव पड़ा है.

समिति  जागरूकता अभियान के साथ  इस मामले की शिकायत राष्ट्रीय महिला आयोग,तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से भी कर रही है  तथा प्रताड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए कार्य करेगी .
 डॉ दिनेश मिश्र ,
अध्यक्ष अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति 
Mob.9827400859