अंधविश्वास,डायन (टोनही) प्रताड़ना एवं सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जनजागरण

I have been working for the awareness against existing social evils,black magic and witchcraft that is prevalent all across the country and specially Chhattisgarh. I have been trying to devote myself into the development of scientific temperament among the mass since 1995. Through this blog I aim to educate and update the masses on the awful incidents & crime taking place in the name of witch craft & black magic all over the state.

Sunday, September 18, 2022

  बिजली गिरने पर तुरंत अस्पताल ले जायें .डॉ दिनेश मिश्र

@ गोबर में गाड़ना नहीं है इलाज.
# वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ एवं अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने कहा बरसात के मौसम में बारिश के साथ बादलों की गड़गड़ाहट तथा बिजली गिरने की अनेक घटनाएं सामने आती हैं ,जिसमें व्यक्ति को त्वरित चिकित्सकीय उपचार की आवश्यकता होती है . पर  अंधविश्वास के चलते पीड़ित व्यक्ति को गोबर के गड्ढे में  कंधे तक गाड़ कर इलाज करने के मामले छत्तीसगढ़, बिहार ,झारखण्ड, ओडिशा के ग्रामीण अंचलों से सामने आते है ,गम्भीर रूप से घायल मरीज को अस्पताल पहुंचाने की बजाय गोबर के गड्ढे में डालकर ठीक होने का इंतजार करते रहना ,इलाज नहीं,अंधविश्वास है.
डॉ दिनेश मिश्र ने कहा कुछ दिनों पहले जशपुर ,सरगुजा  में 3 व्यक्तियों पर बिजली गिरी थी तथा वे बुरी तरह घायल हो गए थे ,वहाँ उन्हें ग्रामीणों ने उपचार के लिए एक गड्ढे में डाल कर  गोबर भर दिया ,बाद में समझाने बुझाने पर उन्हें अस्पताल भेज गया तब तक उनकी मृत्यु हो गयी थी , छत्तीसगढ़ के  ग्रामीण अंचल सरगुजा के बैकुंठपुर कोरिया, रायगढ़ तथा अन्य ग्रामीण क्षेत्र  से बिजली गिरने पर गोबर के गड्ढे में डालने की घटनाएं सामने आयी है,जिनमें पीड़ित व्यक्ति अपनी जान से हाथ धो बैठता है.
डॉ. दिनेश मिश्र ने बताया दुनिया में हर साल बिजली गिरने की करीब 2 लाख 40 हज़ार घटनाएं दर्ज होती हैं. इन घटनाओं में कितनी जानें जाती हैं, इसे लेकर कई तरह के अध्ययन अलग आंकड़े बताते हैं. एक स्टडी की मानें तो दुनिया में 6 हज़ार लोग हर साल बिजली गिरने से मारे जाते हैं.
दूसरी तरफ, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की मानें तो सिर्फ 
भारत में प्रतिवर्ष करीब 2500 व्यक्तियों की मृत्यु बिजली गिरने से होती है, जबकि इनसे कई गुणा व्यक्ति बिजली गिरने से आहत होते है अनेक व्यक्ति अस्पताल पहुंचाए जाने के पहले ही दम तोड़ देते है,और हजारों तो कुछ अंधविश्वास और स्थानीय स्तर पर झाड़फूंक ,उपचार करते रहने के कारण अस्पताल ही नहीं ले जाये जाते कुछ मामलों में तो पीड़ित को 2 घण्टे गोबर में गाड़ने पर ठीक नही होने पर उसे दुबारा गोबर में ही गाड़ दिया गया.
डॉ दिनेश मिश्र ने बताया आकाश में बादलों के टकराव/घर्षण से इलेक्ट्रिसिटी उत्पन्न होती है जो तीव्र गति से पृथ्वी की ओर आती है इसे ही बिजली गिरना ,तड़ित कहते हैं, आकाशीय बिजली में 10 करोड़ वोल्ट तथा 10 हजार एम्पीयर से अधिक करेंट होता है जो बहुत शक्तिशाली होता है ,हम अपने घरों जो विद्युत उपयोग करए हैं वह मात्र 220 वोल्ट होता है ,जब बादलों में घर्षण से विद्युत उत्पन्न होती है तब यह 3 लाख किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से पृथ्वी पर आती है तथा इसमें 15 हजार डिग्री फैरनहाईट की ऊष्मा होती है जो सूर्य की ऊष्मा से भी अधिक होती है,चूँकि प्रकाश की गति ध्वनि की गति से अधिक होती है इसलिए बिजली गिरती हुई पहले दिखाई देती है ,आवाज बाद में सुनाई देती है.
डॉ दिनेश मिश्र ने बताया बरसात के मौसम बिजली गिरने का खतरा बना रहता है इसलिए जब बरसात हो रही हो ,बादल गरज रहे हों तब व्यक्ति को सावधानियां रखना चाहिए जैसे बिजली के उपकरणों को बंद रखें ,लैंडलाइन फोन का उपयोग न करें, पेड़,बिजली के खम्भे, ऊंचे स्थानों के पास न खड़े हों,धातु /मेटल के उपकरण मशीने,बाइक, का उपयोग न करें,यहां तक धातु के हेंडल वाले छाते का उपयोग न करें .यदि स्नान कर रहे हो तब भी नदी ,नाले तालाबो से बाहर निकलें,बचाव के लिये जमीन पर न लेटें बल्कि बैठे घुटनों पर हाथ रख  सिर झुका बैठे सिर जमीन पर न टिकाएं ।घर,दुकान ,बिल्डिंगों में तड़ित चालक लगायें .
डॉ  दिनेश मिश्र ने बताया बिजली गिरने से व्यक्ति की हृदय गति रुकने, साँस रुकने ,से मृत्यु हो जाती है जलने के निशान,कान के परदों का फट जाना ,मोतियाबिंद , शरीर में खास कर दिमाग मे रक्तस्राव ,खून के थक्के जमना,लकवा,डिप्रेशन आदि होने की सम्भावना रहती है बिजली गिरने से पीड़ित व्यक्ति के उपचार के लिए उसे यथासम्भव अतिशीघ्र अस्पताल ले जाना चाहिए,जहां उसे भरती कर उसके हृदय , सांस, सहित पूरे शरीर की सही ढ़ंग से जांच हो सके,एवम् सही इलाज हो सके 
डॉ दिनेश मिश्र ने कहा ,बिजली गिरने से पीड़ित मरीज को गोबर से भरे  गड्ढे में गाड़ कर रखना,झाड़ फूंक करना,उसे ठंडे पानी से नहलाना उस मरीज के स्वास्थ्य के साथ, अंधविश्वास तथा आपराधिक लापरवाही है ,इससे उस प्रभावित मरीज की बचने की संभावना कम हो जाती है बल्कि शासन को ऐसे स्थानों को चिन्हित कर वहां बरसात के मौसम में  कम से कम 10 बिस्तरों का  इंटेंसिव केयर यूनिट बना कर त्वरित चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध करानी चाहिए.ताकि लोगों की प्राण रक्षा की जा सके.
 डॉ दिनेश मिश्र ,नेत्र विशेषज्ञ 

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