अंधविश्वास,डायन (टोनही) प्रताड़ना एवं सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जनजागरण

I have been working for the awareness against existing social evils,black magic and witchcraft that is prevalent all across the country and specially Chhattisgarh. I have been trying to devote myself into the development of scientific temperament among the mass since 1995. Through this blog I aim to educate and update the masses on the awful incidents & crime taking place in the name of witch craft & black magic all over the state.

Sunday, September 18, 2022

 # बकरीद पर मेमने को जरूरतमंद परिवार को दान,केक काट कर  मनाने की सफल पहल डॉ दिनेश मिश्र .

#अपील रंग ला रही #
     @ईदुज्जुहा(बकरीद) में जीवित प्राणी की कुर्बानी देने के बदले केक काटकर  धार्मिक रस्म अदा  करने की, डॉ.  दिनेश मिश्र  की अपील का अब धीरे धीरे असर होने लगा है.
सन 2016 में डॉ दिनेश मिश्र के असम प्रवास के बाद पिछले कुछ वर्षों से असम के  एक विज्ञान शिक्षक ने प्रति वर्ष एक  मेमने  को एक जरूरतमंद परिवार को दान देना आरम्भ किया ,कि वे उसका पालन करेंगे और वे इस त्यागकी भावना  के साथ प्रति वर्ष  ईद मनाते हैं ,वही अन्य स्थानों पर सम्पर्क ,अपील से  लखनऊ, आगरा, के अलावा मुजफ्फरपुर, गाजियाबाद, सहित अनेक स्थानों से पशु की कुर्बानी के बदले केक काट कर बकरीद मनाने के उदाहरण सामने आ रहे  हैं   .
# अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने बताया  असम के धुबरी में रहने वाले विज्ञान शिक्षक श्री अहमद हुसैन ने बकरीद में स्वयं के द्वारा पाले हुए  मेमने  की कुर्बानी देने के बदले  स्थानीय जरूरतमंद परिवार को दान  किया ताकि उस परिवार को मदद हो सके. वहीं कुछ अन्य स्थानों से भी सकारात्मक खबरे आयी है जिनमें इस वर्ष मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, दिल्ली,    सहित अनेक प्रदेशों में यह  सकारात्मक पहल हुई .
 डॉ दिनेश मिश्र ने कहा   जन जागरूकता प्रयासों के चलते  देश के कुछ स्थानों से पिछले वर्ष वर्ष पहली बार  जीवित प्राणी की कुर्बानी देने के बदले  केक काटकर धार्मिक रस्म अदा करने के इको फेंडली ईद मनाने के  उदाहरण सामने आए.  जो इस बार बढ़े हैं .
 अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने कहा देश के अनेक राज्यों में पशुबलि के निषेध के सम्बंध में कानून बने हुए हैं पर उनका  पालन न होने से लाखों निर्दोष मासूम पशुओं की कुर्बानी /बलि दी जाती है ।  जबकि सभी धर्म प्रेम,अहिंसा की शिक्षा देते हैं ,अपनी मनोकामनाओं  की पूर्ति के लिए किसी दूसरे प्राणी की जान लेना ठीक नहीं है।
डॉ दिनेश मिश्र ने कहा पिछले अनेक वर्षों से विभिन्न धार्मिक अवसरों पर पशु की कुर्बानी, पशु वध/बलि की  कुरीति /परम्परा के विरोध में जनजागरण कर रही हैं चार वर्ष पूर्व महाराष्ट्र के कोराडी के मंदिर में,तथा कुछ अन्य स्थानों में नवरात्रि में  बलि प्रथा बंद हुई है ,वहीं बकरीद में भी अनेक स्थानों में मुस्लिम धर्मावलंबियों ने कुर्बानी की प्रथा का परित्याग किया ,पिछले कुछ समय से अन्य देशों के साथ भारत में भी लखनऊ आगरा ,मेरठ मुजफ्फरपुर,  रायपुर, दमोह, नगरी, जयपुर, उदयपुर, बालाघाट, शिवपुरी 
सहित अनेक स्थानों में जन जागरण के प्रयासों से लोगों ने ईदुज्जुहा(बकरीद) में बकरे के स्थान पर केक काटा,कुछ स्थानों पर तो लोगों ने केक पर ही बकरे का चित्र लगाया और,कुछ स्थानों पर चॉकलेट का  बकरा बना कर न केवल सांकेतिक रूप से धार्मिक रस्म अदा की ,बल्कि निर्दोष प्राणियों की रक्षा भी की . डॉ .दिनेश मिश्र ने कहा महात्मा बुद्ध और महावीर स्वामी भी अहिसा के सिद्धांत को प्रचारित करते रहे  महावीर स्वामी ने जियो और जीने दो के सिद्धांत को प्रमुखता दी है, वही अपने उद्धरणों में महात्मा बुद्ध ने कहा है कि मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है  यदि हम किसी को जीवन नहीं दे सकते ,तो हमें किसी का जीवन लेने का अधिकार नहीं है । 
डॉ दिनेश मिश्र ने कहा है कुर्बानी का अर्थ त्याग करना होता है ,अपनी ओर से किसी जरूरतमंद को आवश्यकतानुसार   नगद राशि,दवा,कपड़े ,किताबें ,स्कूल फीस आदि दान कर भी आत्मसंतुष्टि पाई जा सकती है,साथ ही  देश के अन्य प्रदेशों की तरह    किसी जिंदा प्राणी  को काट कर उसकी जान कुर्बान करने के स्थान पर केक काट कर न केवल धार्मिक रस्म अदा करने बल्कि निर्दोष प्राणी की जान बचाने की पहल  की जा सकती है और आगामी वर्षों में ऐसे प्रगतिशील कदमों में और भी अधिक परिवारों के जुड़ने का विश्वास है.
डॉ. दिनेश मिश्र 

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