अंधविश्वास,डायन (टोनही) प्रताड़ना एवं सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जनजागरण

I have been working for the awareness against existing social evils,black magic and witchcraft that is prevalent all across the country and specially Chhattisgarh. I have been trying to devote myself into the development of scientific temperament among the mass since 1995. Through this blog I aim to educate and update the masses on the awful incidents & crime taking place in the name of witch craft & black magic all over the state.

Sunday, July 22, 2018

सामाजिक बहिष्कार मानवाधिकार के खिलाफ — 


अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा कि सामाजिक रीति-रिवाजों की आड़ लेकर सामाजिक बहिष्कार के मनमाने फरमान जारी करने की प्रथा अब बड़ी सामाजिक कुरीति के रूप में सामने आ गई है। उन्होंने जनजागरण अभियान के दौरान विभिन्न स्थानों का दौरा करने के दौरान पाया कि पिछले सप्ताह ही सामाजिक बहिष्कार के ५० से अधिक मामले सामने आये हैं जिन्हें किसी न किसी कारणों से समाज से बहिष्कृत कर दिया गया है। पीडि़तजनों को विभिन्न कारणों से समाज से बहिष्कृत कर दिया गया है जिन्हें गाँव में दूध, राशन, मजदूर यहाँ तक कि बात करने तक पर जुर्माना करने की घोषणा कर दी गई है। ऐसे ही कुछ मामले प्रकाश में आये हैं। बहिष्कृत व्यक्ति को शादी, मृत्यु, पर्व, त्यौहार, सामाजिक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, सार्वजनिक उपयोग के स्थल जैसे बाजार, तालाब, नदी के उपयोग से वंचित कर दिया जाता है। समिति सामाजिक बहिष्कार की सजाओं के विरोध में तथा उन्हें न्याय दिलाने एवं कानून बनाने के लिए अभियान चला रही है। 
राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ ब्लॉक के ग्राम पेंड्री में 50 सिन्हा परिवारों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया है। उनके परिवार के बेटियों के रिश्ते व सगाईयाँ भी टूट चुकी हैं तथा उनका समाज में हुक्का-पानी बंद किया जा चुका है। उसी प्रकार कसडोल में देवाँगन परिवार के श्री फिरत राम देवाँगन का सामाजिक बहिष्कार होने से उक्त परिवार संकट में आ चुका है, उन्हें सामाजिक कार्यक्रमों मेंं आमंत्रित नहीं किया जाता है तथा इस संबंध में आयोजित बैठक के पश्चात् घर लौटते समय ही इसी सदमें में उसकी पत्नी की मृत्यु हो चुकी है तथा उस परिवार के सामने गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई है।
डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा कि सामाजिक बहिष्कार के फरमान से बहिष्कृत व्यक्ति का जीवन कठिन हो जाता है। वह व्यक्ति व उसके परिवार का हुक्का पानी बंद कर दिया जाता है तथा किसी का समाज से बहिष्कार करने की सजा मृत्यु दण्ड से भी कठोर सजा है क्योंकि मृत्यु दण्ड में वह व्यक्ति एक बार में अपने जीवन से मुक्त हो जाता है परंतु समाज से बाहर निकाले व्यक्ति व उसके परिवार को घुट-घुट कर जीवन बिताना पड़ता है तथा यही नहीं उसके परिवार व बच्चों को भी प्रतिदिन सामाजिक उपेक्षा का सामना करना पड़ता है।
डॉ. मिश्र ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि कुछ समाजों में उनके तथाकथित ठेकेदारों ने सामाजिक बहिष्कार को खत्म करने के लिए बकायदा रेट लिस्ट तक तय कर दी है जिसमें यदि वह व्यक्ति किसी कार्यक्रम में शामिल होता है रू 15000/- जुर्माना, यदि बीपीएल कार्डधारी है तो 35000/- जुर्माना, यदि उसका परिवार साथ देता है 50000/- जुर्माना, यदि मध्यम परिवार का व्यक्ति है उसे पचास हजार से पचहत्तर हजार रूपये जुर्माना, यदि उच्च परिवार से व्यक्ति है तो उसे एक लाख से डेढ़ लाख रूपये तक जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। डॉ. मिश्र ने कहा उनके पास कुछ लोगों की रसीदें हैं जिनसे लाख रूपये तक जुर्माना वसूला गया है। उनके पास कुछ ऐसे भी मामले आये हैं जिनमें किसी सदस्य की मृत्यु होने पर दाह संस्कार में समाज के लोगों को शामिल करने के लिए दस हजार रूपये तक जुर्माना लिया गया है।
डॉ. मिश्र कहा कि यदि इस संबंध में सक्षम कानून बनाया जाता है तो हजारों निर्दोष व्यक्तियों को बहिष्कार की प्रताडऩा से बचाया जाना संभव होगा। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उच्च न्यायाधीश सहित देश के सभी जनप्रतिनिधियों, विधायकों, सांसदों को पत्र लिखकर इस संबंध में कानून बनाने की मांग की गई है। पर अब तक कोई ठोस परिणाम नही निकला है ,समिति इस सम्बंध में सभी जिलों में पीडि़तों से सम्पर्क कर रही है,तथा उन्हें पीडि़तों के आवेदन प्राप्त हो रहे हैं तथा उनकी समस्याओं के निराकरण का प्रयास कर रही है।

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